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Friday, June 24, 2022

हर सप्ताह 80.0

 लोकतंत्र की शान द्रोपदी मुर्मू है 

भारत की पहचान द्रोपदी मुर्मू है

राष्ट्रपति का पद शोभित जिसको करना
नारी का सम्मान द्रोपदी मुर्मू है

राम-सी वनवासी है, जंगल में रहकर 
वन का स्वाभिमान द्रोपदी मुर्मू है

दो दो बेटे और पति को खोकर भी
जीवन का वरदान द्रोपदी मुर्मू है

मयूरभंज का और उड़ीसा का गौरव 
संस्कृति का गुणगान द्रोपदी मुर्मू है

अध्यापक हो या सत्ता का गलियारा 
रही जो ससम्मान द्रोपदी मुर्मू है

मोदी जी का देश रहेगा आभारी
सच में गुण की खान द्रोपदी मुर्मू है

Thursday, June 23, 2022

हर सप्ताह 79.0

 आतंकों की फसल उगाते भारत में 

घृणा और नफ़रत फैलाते भारत में


जब देखो तब दंगों का डर फैलाते

पाकिस्तानी नगमे गाते भारत में 


एक पैगंबर छोड़ कोई स्वीकार नहीं

टेलीविजन पर धमकाते भारत में 


छवि हमारी धूमिल करने दुनिया में

बिना बात का शोर मचाते भारत में 


जो किताब में लिक्खा वो बोला, फिर क्यों

शर्मा - जिंदल पर गुर्राते भारत में 


अरब हमारे ठेकेदार नहीं हैं जो

बेमतलब ही टाँग अड़ाते भारत में


मस्जिद और मदरसे यही सिखाते 

क्या 

जुम्मे को पत्थर बरसाते भारत में

हर सप्ताह 78.0

 हिन्दू-मंदिर तोड़ने वाला, ओरंगजेब तुम्हारा है

राज खुला तो मुंह पर ताला, ओरंगजेब तुम्हारा है 


गर्दन काटी और जनेऊ-संतों का अपमान किया

काम किया जिसने हर काला, ओरंगजेब तुम्हारा है


भोले-शंकर की काशी में मस्जिद को तामीर किया

जिसने तोड़ा भव्य शिवाला, ओरंगजेब तुम्हारा है


कृष्ण-जन्मभूमि कब्जा कर, हर सनातनी सीने में 

घौंप रखा है जिसने भाला, ओरंगजेब तुम्हारा है 


मां-बहनों की इज़्ज़त से जिसने हर दिन खिलवाड़ किया

दरबारों में मदिरा-प्याला, औरंगजेब तुम्हारा हैं


गौ-हिंदू की रक्षा के हित तेग बहादुर लड़े-मरे

उनका शीश काटने वाला, ओरंगजेब तुम्हारा है 


अपना बाप बनाकर बंदी, भाइयों को मरवा डाला 

पापी का था शौक निराला, ओरंगजेब तुम्हारा है

हर सप्ताह 77.0

 मंदिर-मंदिर फैला है अभिशाप तुम्हारा 

सारी दुनिया देख रही है पाप तुम्हारा 

 काशी-वापी  दोनों  में  ही  शिवशंकर  हैं
न्यायालय में गया फ़िजूल प्रलाप तुम्हारा 

वजुखाने में महादेव को क़ैद किया था
दुष्टो ! ये है पाप नहीं, महापाप तुम्हारा

गंगा जमनी की बातें अब बेमानी है 
छल फरेब से भरा वार्तालाप तुम्हारा

डी एन ए की अगर खुदाई कभी हुई तो
राम-श्याम आख़िर निकलेगा  बाप तुम्हारा

हर सप्ताह 76.0

 आपस में हो भाईचारा बुद्धम शरणम गच्छामि 

वैशाख पूर्णिमा को अवतारा बुद्धम शरणम गच्छामि 


सत्य अहिंसा औ' करुणा का भाव जगाया दुनिया में 

चहुंओर फिर गूंजा नारा बुद्धम शरणम गच्छामि 


बेटा पत्नी राजपाठ सब छोड़ हो गए संन्यासी 

सारे जग पर ख़ुद को वारा बुद्धम शरणम गच्छामि 


थाईलैंड, तिब्बत या लंका चीनी हों या जापानी 

करते हैं गुणगान तुम्हारा बुद्धम शरणम गच्छामि 


तोप मिसाइल टैंक परमाणु सभी शांति की ख़ातिर हों

फुले-फले जगत ये सारा बुद्धम शरणम गच्छामि 


अगर बचाना इस दुनिया को युद्ध छोड़कर बुद्ध बनो 

धरती पर गूंजे जयकारा बुद्धम शरणम गच्छामि 


जाते-जाते भगवन बोले अपना दीपक स्वयं बनो 

मन मंदिर में हो उजियारा बुद्धम शरणम गच्छामि

हर सप्ताह 75.0

 हिंदू-मुस्लिम  भाई  चारा  कैसे  हो ?

मंदिर-मस्जिद  में  ये  नारा  कैसे हो ?


'तेजो' को खंडहर कर तुमने 'ताज' गढ़ा

शिव-मंदिर में चांद-सितारा कैसे हो ? 


सदियों-सदियों 'रामलला' को कैद रखा

बोलो हमको 'मोमिन' प्यारा कैसे हो ? 


काश्मीर के पंडित बेघर ख़ुद के घर  

अमरनाथ का दिव्य नज़ारा कैसे हो ? 


काशी में 'वापी' मस्जिद का क्या मतलब 

भोले  शंकर  का  भंडारा  कैसे  हो ?


बंसीवाले की 'कारा' को कब्जाया  

मथुरा में बोलो उजियारा कैसे हो ?


भारत में फिर 'पाक' बनाने की साज़िश

बार-बार मां का बंटवारा कैसे हो ?

हर सप्ताह 74.0

 ईश्वर का वरदान है माँ 

भोली सी मुस्कान है माँ


आँचल में आशीष भरे 

सच में ही भगवान है माँ 


मुझे सुलाने ख़ुद जागी

ममता का अभियान है माँ 


कोख से ही पाला पोसा

धरती सी बलवान है माँ 


पापा के हर संकट का 

हर उपचार-निदान है माँ 


तन से ख़स्ताहाल सही

मन से पर धनवान है माँ


ख़ुद ही मंदिर-मस्जिद है 

गीता कभी कुरान है माँ

हर सप्ताह 73.0

 मैं ग़रीब, मैं स्वाभिमानी, कहते हैं मजदूर मुझे 

मिट्टी-मिट्टी हुई जवानी, कहते हैं मजदूर मुझे 


सड़क, सुरंगे, बाँध बनाता, पुल का भी निर्माता हूँ

ख़ून पसीना राम-कहानी, कहते हैं मजदूर मुझे 


मैं किसान, मैं मिट्टी से भी सोने को उपजाता हूँ 

खेतों की मैं ही निगरानी, कहते हैं मजदूर मुझे 


लेपटॉप कंप्यूटर तक भी मैं संचालित कर सकता

आठ पहर का मैं सेनानी, कहते हैं मजदूर मुझे


मंदिर, मस्ज़िद, चर्च और गुरुद्वारे में जाकर देखो

ईंट-ईंट पर मेरी कहानी, कहते हैं मजदूर मुझे

हर सप्ताह 72.0

 घर  आँगन  आधार  हमारे  बाबूजी 

करते  सबसे  प्यार  हमारे  बाबूजी


पुस्तक कापी खेल खिलौना है उनसे

घर के पालनहार हमारे बाबूजी


मेरी खाँसी तक पर रातों को जागे 

मेरी करुण पुकार हमारे बाबूजी


दादा दादी की लाठी हैं चश्मा हैं 

लगते श्रवण कुमार हमारे बाबूजी


अम्मा उनसे जब खटपट-खटपट करती 

मुस्काते  हर  बार  हमारे  बाबूजी 


मौन ही साधे रहते हैं अक्सर देखा

पर भीतर चित्कार हमारे बाबूजी


टूटे  जूते  फटी  जुराबें  पैरों  में 

बच्चों की सरकार हमारे बाबूजी


उनके कांधे से दुनिया को देखा है

मेरा  तो  संसार  हमारे  बाबूजी 


मेरा चेहरा पढ़ना उनको आता है

अनुभव  के अंबार  हमारे  बाबूजी


खेत बेचकर बहना के हाथों मेहंदी

कर्जा  और  उधार  हमारे  बाबूजी

हर सप्ताह 71.0

 अवधपुरी में दीवाली है, बाबा जी हैं यूपी में

माँ - बहनों की रखवाली है, बाबा जी हैं यूपी में 


गुंडागर्दी का इलाज है, जीप कहीं तो बुलडोजर

ना गोली है, ना गाली है, बाबा जी हैं यूपी में 


पानी - बिजली का प्रबंध है, गन्ने का भुगतान भी है

खेतों में भी हरियाली है, बाबा जी हैं यूपी में 


एक्सप्रेस-वे से जनपद - जनपद , नगर - गाँव सब जोड़ दिये

दसों दिशा में ख़ुशहाली है, बाबा जी हैं यूपी में 


रामलला अब 'अवध' विराजे, 'काशी' में बमबम भोले  

'मथुरा' फिर वैभवशाली है, बाबा जी हैं  यूपी में

हर सप्ताह 70.0

 मुसलमान को सर बैठाया कांग्रेस ने 

चर्च-पादरी  गले  लगाया  कांग्रेस ने


'तुष्टिकरण' के खेल में बस हिन्दू को पीसा

'कश्मीरी पंडित'  पिटवाया  कांग्रेस ने


'गोवा' के भारत में विलय को देर न लगती  

फ़िरंगियों का साथ निभाया कांग्रेस ने  


'सन चौरासी'  के दंगों को भूलें कैसे

'सिक्खों का संहार'  कराया कांग्रेस ने


'इमरजेंसी' को थोपा, रौंदा 'लोकतंत्र' को

'वंशवाद'  को  सदा बढ़ाया कांग्रेस ने


रामजन्म तक पर भी जब-तब प्रश्न उठाए

'रामलला  मंदिर'  अटकाया  कांग्रेस ने 


जात-पात को देकर शह, हिन्दू को बाँटा 

ख़ुद की कुर्सी को चमकाया कांग्रेस ने


छोड़ 'राम' को, कांग्रेस अब 'रोम' गा रही

सदा  परायों  को  अपनाया  कांग्रेस ने

हर सप्ताह 69.0

 वो आवाज़ अनूठी - न्यारी, चली गई

सरस्वती  की  बेटी  प्यारी  चली गई 


भारत-रत्न, कोकिला, स्वर की साम्राज्ञी

संस्कृति की पावन फुलवारी चली गई 


देशभक्ति का भाव हमेशा दिल में था

गीतों की इक राजकुमारी चली गई


भारत की हर भाषा में गाया जिसने 

भारत की बेटी अवतारी चली गई


सात सुरों को साधा जिसने शिद्दत से

गायन की अद्भुत फ़नकारी चली गई


हर क्षण हर पल गीत तुम्हारे गूँजेंगे

अगणित गीतों की मनुहारी चली गई


वासंती-पंचमी  शारदा  पूजन  कर

जीवन-लय पर हो बलिहारी चली गई

हर सप्ताह 68.0

 लौ-स्वराज सुलगाने वाले लाला जी

और लाठियाँ खाने वाले लाला जी


वही लाठियाँ काल बनी अंग्रेजों का

गौरों  से  टकराने  वाले  लाला जी


कहलाए  'पंजाब-केसरी'  भारत के

गुलशन को महकाने वाले लाला जी


'साईमन' हरगिज़ भी स्वीकार नहीं हमको

क्रांति-अलख  जगाने  वाले  लाला जी 


शत-शत वंदन अभिनंदन महामानव का

जीवन-पुष्प  चढ़ाने  वाले  लाला जी

हर सप्ताह 67.0

 दुनिया में विख्यात हिन्द की सेना है 

'भारत का देहात'  हिन्द की सेना है 


फील्ड मार्शल 'करिअप्पा' - 'मानेकशॉ' की

भारत को सौगात हिन्द की सेना है 


सैनिक-योद्धा-फौज़ी का मतलब समझो

दुश्मन पर आघात हिन्द की सेना है

 

गर्मी-सर्दी-बरसातों  में  सीमा  पर

सजग रहे दिन-रात हिन्द की सेना है 


दिवस आर्मी, दिन पावनतम याद हमें 

बलिदानी जज़्बात हिन्द की सेना है

हर सप्ताह 66.0

 पंजाब-सियासत तुम्हें मुबारक चन्नी जी

हे 'गांधी कुल' के उपकारक चन्नी जी


दलित-कार्ड से कुर्सी-कुर्सी खेल रहे 

मगर 'चूक' के तुम भी कारक चन्नी जी


सिद्धू जी से रोज़-रोज़ रगड़ा-झगड़ा

सड़कों-सड़कों बने प्रचारक चन्नी जी


राजनीति  के  सारे  फंडे  जान  गए 

बने फिर रहे बड़े विचारक चन्नी जी


मोदी जी की इज़्ज़त से खिलवाड़ किया

लोकतंत्र  के  तुम  संहारक  चन्नी जी

हर सप्ताह 65.0

 मंगल-मंगल करते जाओ बाईस में 

हिंसा-भय-दारिद्र मिटाओ बाईस में


अर्थव्यवस्था विश्वस्तर की हो जाए

श्रीलक्ष्मी के कमल खिलाओ बाइस में 


कोविड से भी पूर्ण सुरक्षा करनी है 

अनुशासन का भाव जगाओ बाईस में


योगी जी को फिर यू पी में लाना है

मथुरा में भी दीप जलाओ बाईस में


जनसंख्या विस्फोट नियंत्रित करने को 

एक नया कानून बनाओ बाईस में 


खेत-किसानी उन्नत हो, सम्पन्न बने 

जैविक खेती को अपनाओ बाईस में 


दुनिया में फिर से भारत-भारत गूँजे

'जय स्वदेश' का मंत्र गुँजाओ बाईस में

हर सप्ताह 64.0

 अदभुद और अतुल्य नज़ारा काशी में 

माँ गंगा की पावन धारा काशी में 


'गंगा का बेटा' जब गंगा में उतरा 

दिव्य हो गया पुण्य किनारा काशी में 


शिल्पकार के संग में भोजन-परसादी

श्रमिकों का भी जय-जयकारा काशी में 


विधि-विधान से विश्वनाथ पूजा-अर्चन

हर-हर, बम-बम गूँजा नारा काशी में 


रात में राजा गली-गली में जब घूमा

चमका नव्य-विकास सितारा काशी में


साधु-संत और भक्तों की भक्ति न्यारी

डम-डम डमरू का गुंजारा काशी में 


'औरंगजेबों' का प्रत्युत्तर 'वीर शिवा'

इस विचार ने तोड़ी  कारा  काशी में

हर सप्ताह 63.0

 थे भारत के बड़े कमाण्डर रावत जी

तीनों सेनाओं के लीडर रावत जी


दुश्मन भी जिनका सम्मान किया करते 

सेनानी  थे  बड़े  धुरंधर  रावत जी 


'सर्जिकल' हमले तक को अंजाम दिया 

हर क्षण चौकस बॉर्डर-बॉर्डर रावत जी


किया सुसज्जित सेना को हथियारों से 

बने विकास का दिव्य कैलेंडर रावत जी 


चीन-पाक पर हरदम जिनकी आँख रही 

शत्रु का डर ; प्रलय-बवंडर रावत जी 


तीन सौ सत्तर पर घाटी को शांत किया

जिनकी ख्याति केसर-केसर रावत जी


बिपिन-मधुलिका और सभी योद्धाओं के

हम सब रखते चरणों में सर रावत जी

हर सप्ताह 62.0

 हिन्दु की हुंकार मतलब छः दिसम्बर

बाबरी संहार मतलब छः दिसम्बर


कारसेवा से रचा इतिहास जग में 

राम की जयकार मतलब छः दिसम्बर


पाँच सदियों का रहा संघर्ष अनथक

सत्य अब साकार मतलब छः दिसम्बर


जालिमों की गोलियाँ सीने पे झेलीं

जुल्म का प्रतिकार मतलब छः दिसम्बर


गाँव-गली में रथ चलाया जागरण का

पाप का उपचार मतलब छः दिसम्बर


टाट मंदिर में हुई ठाकुर की पूजा 

अवध में उजियार मतलब छः दिसम्बर


दीप लाखों जल रहे हैं हर दीवाली

पुण्य सरयू धार मतलब छः दिसम्बर

Friday, June 17, 2022

हर सप्ताह 61.0

 अवधपुरी में दीप जले तो दीवाली है

दुश्मन भी जब गले मिले तो दिवाली है


धन्वंतरी ऋषि से मतलब है धनतेरस का 

स्वास्थ्य हमेशा ठीक चले तो दिवाली है 


रूप की चौदस हर दिन, हर घर, हर आँगन में 

हर मन में यदि फूल खिले तो दिवाली है 


रुपये की क़ीमत जब हो डॉलर से भी ज्यादा

जेब भरी हों ऊपर-तले तो दिवाली है 


गौ की सेवा का मतलब कान्हा की सेवा 

नित हो अन्नकूट के सिलसिले तो दीवाली है 


बहन बेटियों की इज़्ज़त जब घर-घर होगी 

रिश्तों में जब प्यार पले तो दीवाली है