मैं ग़रीब, मैं स्वाभिमानी, कहते हैं मजदूर मुझे
मिट्टी-मिट्टी हुई जवानी, कहते हैं मजदूर मुझे
सड़क, सुरंगे, बाँध बनाता, पुल का भी निर्माता हूँ
ख़ून पसीना राम-कहानी, कहते हैं मजदूर मुझे
मैं किसान, मैं मिट्टी से भी सोने को उपजाता हूँ
खेतों की मैं ही निगरानी, कहते हैं मजदूर मुझे
लेपटॉप कंप्यूटर तक भी मैं संचालित कर सकता
आठ पहर का मैं सेनानी, कहते हैं मजदूर मुझे
मंदिर, मस्ज़िद, चर्च और गुरुद्वारे में जाकर देखो
ईंट-ईंट पर मेरी कहानी, कहते हैं मजदूर मुझे
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