आपस में हो भाईचारा बुद्धम शरणम गच्छामि
वैशाख पूर्णिमा को अवतारा बुद्धम शरणम गच्छामि
सत्य अहिंसा औ' करुणा का भाव जगाया दुनिया में
चहुंओर फिर गूंजा नारा बुद्धम शरणम गच्छामि
बेटा पत्नी राजपाठ सब छोड़ हो गए संन्यासी
सारे जग पर ख़ुद को वारा बुद्धम शरणम गच्छामि
थाईलैंड, तिब्बत या लंका चीनी हों या जापानी
करते हैं गुणगान तुम्हारा बुद्धम शरणम गच्छामि
तोप मिसाइल टैंक परमाणु सभी शांति की ख़ातिर हों
फुले-फले जगत ये सारा बुद्धम शरणम गच्छामि
अगर बचाना इस दुनिया को युद्ध छोड़कर बुद्ध बनो
धरती पर गूंजे जयकारा बुद्धम शरणम गच्छामि
जाते-जाते भगवन बोले अपना दीपक स्वयं बनो
मन मंदिर में हो उजियारा बुद्धम शरणम गच्छामि
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