वो आवाज़ अनूठी - न्यारी, चली गई
सरस्वती की बेटी प्यारी चली गई
भारत-रत्न, कोकिला, स्वर की साम्राज्ञी
संस्कृति की पावन फुलवारी चली गई
देशभक्ति का भाव हमेशा दिल में था
गीतों की इक राजकुमारी चली गई
भारत की हर भाषा में गाया जिसने
भारत की बेटी अवतारी चली गई
सात सुरों को साधा जिसने शिद्दत से
गायन की अद्भुत फ़नकारी चली गई
हर क्षण हर पल गीत तुम्हारे गूँजेंगे
अगणित गीतों की मनुहारी चली गई
वासंती-पंचमी शारदा पूजन कर
जीवन-लय पर हो बलिहारी चली गई
No comments:
Post a Comment