Monday, August 21, 2017
धर्म और संस्कृति
Saturday, August 19, 2017
Friday, November 1, 2013
दीप
अंधकार को दूर भगाना अच्छा है ।
बाहर लाखों दीप जलें है जलने दो
भीतर मन का दीप जलाना अच्छा है ।।
Saturday, September 28, 2013
Thursday, October 28, 2010
दिवाली
सब जब दीप जलाएं दिवाली होती है।
मिल जुलकर सब प्रेम प्यार से साथ रहें,
चेहरे जब मुस्काएं दिवाली होती है ।
साठ साल लखनऊ में भटके राम लला,
दिल्ली से बच जाएँ दिवाली होती है ।
नेता जी जो कान्हा जी के वंशज है,
पुरखे नहीं लजाएँ दिवाली होती है ।
पाँच कोस के बाहर मस्जिद भव्य बने,
हिन्दू हाथ बटाएं दिवाली होती है ।
सोमनाथ का समाधान सर्वोतम था,
फिर इतिहास दोहराएँ दिवाली होती है
Sunday, August 1, 2010
कृपा निधान
कृष्ण कन्हैया जय नटनागर
जय जय जय हे कृपा निधान
कलयुग में अपने भक्तों का
आकर करना फिर कल्याण
आतंकवाद की छाया प्रभुजी
मंदिर कैसे आये हम
दुश्मन सिर पर नाच रहा है
कैसे खुशी मनाये हम
रक्तपात है सीमाओं पर
कैसे गीत सुनाये हम
अरुणांचल में चीन खड़ा है
कैसे उसे भगाये हम
रक्षा करना कृष्ण मुरारी
हम है तेरी ही सन्तान
कलयुग में अपने भक्तों का
आकर करना फिर कल्याण
(2)
महंगाई की मार पड़ी है
भोग लगाना मुश्किल है
सारा गुलशन खतरे में है
फूल चढ़ाना मुश्किल है
पेट्रोल हो रहा है बेकाबू
मथुरा आना मुश्किल है
घी तेल में चर्बी प्रभुजी
दीप जलाना मुश्किल है
कौरव दल है नेताओं का
चक्र चलाना हे घनश्याम
कलयुग में अपने भक्तों का
आकर करना फिर कल्याण
(3)
घोटाले ही घोटाले हैं
मंदिर कौन बनायेगा
कथाकार का शुल्क बहुत है
गीता कौन सुनायेगा
जमुना जब हो गंदा नाला
डुबकी कौन लगायेगा
पाकिस्तान जब है पड़ोस में
मैत्री कौन निभायेगा
बड़ी चुनौती अब है सम्मुख
तुम ही छेड़ो वंशी की तान
कलयुग में अपने भक्तों का
आकर करना फिर कल्याण
(4)
गौ माता के सिर पर आरी
कब तक हम चुपचाप रहें
गोवर्धन का खनन है जारी
कब तक हम चुपचाप रहें
मंदिर मस्जिद की लाचारी
कब तक हम चुपचाप रहें
कुरुक्षेत्र की फिर तैयारी
कब तक हम चुपचाप रहें
अर्जुन के संग आकर प्रभु जी
फिर गुंजाना गीता ज्ञान
कलयुग में अपने भक्तों का
आकर करना फिर कल्याण
Wednesday, February 3, 2010
उनके बस की बात नही -4
अडवानी जी पी॰ एम॰ की कुर्सी को लेकर अड़े रहे।
और प्रतीक्षा करते रहना उनके बस की बात नही॥
मनमोहन जी हर चुनाव में पी॰ एम॰ तो बन सकते हैं।
लोक सभा का एम॰ पी॰ बनना उनके बस की बात नही॥
जात पात का हाथी लेकर हाथ हिलाना आता है।
उस हाथी पर दिल्ली आना उनके बस की बात नही॥
लोजपा की लाज बची ना, पासवान ना पास हुये।
घुड़की दे अब मंत्री बनना उनके बस की बात नही॥
भोली भाली जनता उपर टैक्स लगाना आता है।
स्विस बैंको से पैसा लाना उनके बस की बात नही॥
छोड़ फ़िजा को चांद मोहम्मद गली- गली में घूम रहे।
अपनी बीवी के घर जाना उनके बस की बात नही॥
राज ठाकरे अपने भाई उद्धव से लड़ सकते हैं।
भाई दाऊद जी लड़ना उनके बस की बात नही॥
शरद पवार जी केवल क्रिकेट की चिंता मे रहते है।
महंगाई पर रोक लगाना उनके बस की बात नही॥
राम गोपाल ने दो हंसों की जोड़ी को ही तोड़ दिया।
अमर सिंह से आंख मिलाना उनके बस की बात नही॥
राज भवन भी शर्मसार है एन डी की रंगरलियों से।
बालाओं से यूं बच पाना उनके बस की बात नही॥
खूब दिखाया स्लम एरिया और आस्कर भी पाया।
मगर स्लम को स्वर्ग बनाना उनके बस की बात नही॥
अमरीका के टावर तोड़े और अभी तक जिन्दा है।
ओसामा को हाथ लगाना उनके बस बात नही॥
ओबामा ने कुर्सी पाई कोई फर्क नही पड़ता।
अमरीका को आज बचाना उनके बस की बात नही॥
मैडल वापस लेने में भी बिल्कुल शर्म नही आई।
अफजल को फांसी लटकाना उनके बस की बात नही॥
आतंकवादियों मासूमों का खून बहाना आता है।
जाबांजों से युद्ध रचाना उनके बस की बात नही॥
Sunday, August 16, 2009
राम जी प्रसन्न
राम लीला की रसीद कटवाना,
रामायण को गाना,
राम राम लिखना लिखवाना,
राम कथा के पोस्टर्स लगवाना,
राम की सवारी सजवाना,
राम जी को सोने का मुकुट चढ़ाना,
राम जी की आरती मे शंख बजाना,
राम जी को प्रसन्न करने की मजबूरी है,
इसलिये ये सब करना जरुरी है,
राम जी भी आज के,
नेताओं की तरह,
इन बातों से प्रसन्न हो्ते?
तो क्या अयोध्या की गद्दी ठुकराते और,
जंगल जाते,
वास्तव में राम जी प्रसन्न होते है,
केवट को किताब - राम जी खुश,
निषाद को जाब - राम जी खुश,
शबरी के घर डाक्टर - राम जी खुश,
भील के घर मास्टर - राम जी खुश,
जटायूँ को इंजेक्शन - राम जी खुश,
भालू के घर राशन - राम जी खुश,
आओ राम जी के मन्दिर में,
घंटे घड़ियाल के साथ-साथ,
जंगल जंगल अलख जगाएं,
और राम जी को प्रसन्न करने के लिये,
एकल का एक नन्हा दीप,
हम भी जलाएं,
शायद राम जी प्रसन्न हो जाए,
Thursday, February 7, 2008
महिला शक्ति
परमाणु के विस्फोट करने वाला
एक कुंवारा
जो विज्ञान को ही
स्वपन सुंदरी मानकर
प्यार करता रहा
अपने आविष्कारों पर ही मरता रहा
हेयर कटिंग सेलून
जाने से भी डरता रहा
जो जवानी में पति ना
बनने के लिये तन गया
वह बुढ़ापे में
राष्ट्रपति बन गया
और जाते जाते कैसी
परम्परा जोड़ गया
खुद पुनः शिक्षक
तथा हिन्दुस्तान को
शिक्षा देने के लिये
एक महिला को
राष्ट्रपति भवन
छोड़ गया
विधि का खेल निराला है
भाग्य बड़ा बलवाला है
क्या कर लेगा एन डी ए
यू पी ए रखवाला है
पर आम व्यक्ति
इस घटना से परेशान है
क्योंकि चहुंओर महिलाओं
का ही गुणगाण है
घर की राष्ट्रपति महिला
आफिस की राष्ट्रपति महिला
एक देश बचा था, वहां भी
पुरूषों की हार है, क्योंकि
अब उस पद पर भी
महिला ही सवार है
हमने सोनिया जी से पूछा
महिला शक्ति के लिये आप वरदान हैं
माना कि आप महान हैं परन्तु
महिलाओं के प्रति आपका दृष्टिभेद
हम समझ नहीं पाते
प्रतिभा ताई को राष्ट्रपति बनाया
तो कम से कम किरण बेदी को
दिल्ली का हवलदार तो बनाते
मेरे प्रश्न के उत्तर में
सोनिया जी मुस्कुराई तो
हमने अपनी कलम उठाई और लिखा -
यू पी ए आकाश देखिये दस जनपथ
पी एम का आवास देखिये दस जनपथ
कैसा शक्ति केन्द्र बना है भारत में
राष्ट्रपति निवास देखिये दस जनपथ
टैंशन फ्री
बास की टैंशन
लास की टैंशन
राशन की टैंशन
टयूशन की टैंशन
बीबी की टैंशन
बच्चों की टैंशन
पडोसी की टैंशन
मौसी की टैंशन
बिल की टैंशन
दिल की टैंशन
हेल्थ की टैंशन
वेल्थ की टैंशन
अगर रहेगी टैंशन तो
बीबी खायेगी पैंशन
टैंशन फ्री आन्दोलन अपनाओ
कम खर्चे में काम चलाओ
पडोसी की खुशहाली देख मुस्कराओं
बाबा रामदेव के योग शिविर में जाओ
टैंशन फ्री पत्रिका घर मंगवाओ
जोर जोर से गाना गाओ
कि जग में ऊंची होगी शान
तनावमुक्त हो हिन्दुस्तान
वैश्वीकरण
डायना की मौत से ये समझ आ रहा है
जर्मनी की कार में
अंग्रेजों की रानी
इजेपेटियन बाय फ्रेंड
डच ड्राईवर तथा
फ्रांस के मोड़ से टकराना
इसे कहते है
ग्लोबलाईजेशन का जमाना
धर्म निरपेक्षता
केरल के मंदिर में
नेहरू जी द्वारा
आग बबूला हो जाना
और निज़ामुद्दीन की दरगाह पर
प्रसन्नता पूर्वक टोपी लगाना
इसी का नाम है
धर्मनिरपेक्षता निभाना
तीन रंग
एक ट्रक पर सवार
कर रहे थे तिरंगे झण्डे पर विचार
हिन्दु ने कहा -
हम हैं गाँधी के बेटे लायक
अहिंसा के नायक
वन्देमातरम् के गायक
छोड़ चुके हैं केसर की घाटी
क्योंकि हमको प्यारी है भारत की माटी
हम हैं भारत पर कुरबान
इसलिये ये रंग केसरिया हमारी शान।
मुस्लिम ने कहा -
हरा यानी हरियाली
हरियाली है तो खुशहाली
खुशहाली है तो चार-चार घरवाली
और तुम्हारी तरह एक या दो नहीं
एक दर्जन बच्चे पालने से भी नहीं डरते हैं
इसलिये हम इस हरे रंग पर मरते हैं
ये हरा रंग हमारी स्मृद्धि का सितारा है
इसलिये हमको प्यारा है।
ईसाई ने कहा -
सफेद यानी शांति
शांति है तो भाईचारा
इसलिये हम
भाइयों को चारा डालकर
ईसाई बना रहे हैं
मंदिर मस्जिद गुरूद्वारों पर
सफेद झण्डा लहरा रहे हैं और
जिस दिन भारत के कोने-कोने में
ईसायत का झण्डा लहरायेगा
उस दिन ईसामसीह भारत में जरूर आयेगा
ईसामसीह को दीजिये सम्मान
और करिये तिरंगे को प्रणाम।
सरदार जी बोले -
जो बोले सो निहाल
सब कहो सत श्री अकाल
और बताओ
पहले मुर्गी आई थी या अन्डा
तो क्या कर लेगा तुम्हारा झन्डा
झन्डे में डन्डे की शान निराली है और
इस डन्डे से ही भारत की रखवाली है
तो हम हैं
भारत के चौकीदार
पंच प्यारों के अवतार
देश की रक्षा हमारा नारा है
इसलिये ये डन्डा हमको प्यारा है
इन चारो की बात को सुनकर
ट्रक ड्राईवर को गुस्सा आया
जोर का ब्रेक लगाया और कहा -
झन्डा-डन्डा तो ठीक
अशोक का चक्का भूल गये
अपने-अपने मजहब पर ही फूल गये और
मुझे तो लगता है
ये अशोक का नहीं
मेरे अशोका ट्रक का चक्का है
और ये हम ड्राईवरों की पहचान का पक्का है
और तुम चारों भी
भारत के इस ट्रक के
पहिये बन जाओ और
इस ट्रक में पंचर करने के बजाय
मिलकर कदम बढ़ाओ
तो ये ट्रक नहीं
भारत के विकास का रथ बन जायेगा
और इस पर सवार भारत
भारत नहीं
विश्वगुरू कहलायेगा॥
आजीवन कारावास
पिताजी आये मेरे पास और बोले
ले बेटा देख ये चित्र
चुन लिया है हमने तेरा जीवन मित्र
मै चौका, पिता ने टोका
लाखें में एक है।
यूं तो अपने पिता पर पूर्ण विश्वास था
पापी मन लाचार था
सोचते विचारते पहुंचे उसके द्वार
शायद उसको भी था इन्तजार
हाथ मे चाय की ट्रे उठाये
शर्माये सकुचाये
दो सखियों के साथ
धीरे धीरे कदमों को बढाये
कमरे में आते ही कहा
नमस्कार।
हमने पूछा क्या आप ही हैं उम्मीदवार
उम्मीदवार? उम्मीदवार नही वोटर हैं
उम्मीदवार तो हैं आप
उम्मीदवार ही तो वोटर के घर आता है
वोटर को रिझाता है
ठीक है ! ठीक है ! वोटर जी
क्या ये दोनो सखिया भी
वोट डालने आई हैं
नही नही ये तो आलरेडी हो चुकी पराई हैं
लगता है पॉलटिकल साईंस का
आपको अधिक ज्ञान है
पॉलटिक्स में तो हम सब महान है
भाई पार्षद
पिता विधायक और
बाबा संसद की सीढ़ी चढे हैं
पॉलटिक्स तो हम
अपने घर पर ही पढ़े हैं
वैसे कहाँ तक की है पढाई?
जी बी ए किया हैं
किस सब्जेक्ट में?
सबजेक्ट नही ओबेजेक्ट पूछिये?
डिगरी लेने
किस कॉलेज से ?
कॉलेज से नही किताबों से
कॉलेज तो कभी कभी जाते थे
पिकनिक मनाने।
लगता पिकनिक आपकी हॉबी है
हाँ हाँ भारत तो क्या
अमरीका, चीन, जापान
पूरी दुनिया का चक्कर लगाया है
तब तो भूगोल का आपको अच्छा ज्ञान होगा
क्यों नही क्यों नही
वहाँ भी तो हमने एक सप्ताह बिताया है
हमने सखियों से पूछा
क्या आप भी भूगोल जाकर आई हैं?
नही नही हमने तो भूगोल में ही डिग्री पाई है।
सखियों से बात करना
उनको नही सुहाया
हमको समझाया
वोटर ये नही हम हैं
सवाल हमसे कीजीये
हमने कहा लीजीये
टी वी देखा है
टी वी तो मेरे जीवन का सहारा है और
”मुजरिम हॉजिर है” सीरीयल
मुझे सबसे प्यारा है।
इतना सुनते ही
मै स्वयं को टी वी सीरीयल मे ले आया
उसको जज और
अपने आप को मुजरिम पाया
ठक ठक की आवाज के साथ
उसने घोषणा की
कहाँ थे आप?
इक्कीस वर्ष तक खोजा है
अब ना कोई धोखा है
उसने कलम उठाई और
दे दिया हमे आजीवन कारावास ।
अहिंसा वर्ष
भगवान महावीर
आपका 2600 वाँ
जन्म कल्याणक मनाकर भी
हम शर्मिन्दा हैं
क्योंकि आपकी
अंहिसा मर रही है और
हिंसा अभी जिंदा है
बडे धूम-धाम से मनाया
हमने आपका जन्म कल्याणक वर्ष
आतंकियों में छाया रहा पूरा हर्ष
ओसामा के धमाके
संसद में लड़ाके
कश्मीरी अंगारे और
गोधरा के हत्यारे
मानवता को चाट रहे हैं और
कुछ धर्मों के ठेकेदार
दुनियाँ को डाँट रहे हैं
आपके भक्तों ने व सरकार ने
किया है कमाल
आपके जन्म कल्याणक पर
लुटाया है माल
बनाई है ऊंची-ऊंची अट्टालिकायें
जलाई हैं दीप मालिकायें
कहीं भजन
कहीं गीत
कहीं संगीत
लेकिन नहीं मिली
अहिंसा को जीत
क्योंकि अहिंसा की जीत के लिये
जो करना था
वह हम जानते ही नही हैं
और आपका सिध्दांत
व्यक्ति का निर्माण
हम मानते ही नही है
नही चाहिये ऊँचे भवन अट्टालिकायें
नही चाहिये घंटे घड़ियाल मालिकायें
नही चाहिये भजन नाटक और गीत
हमें तो चाहिये
केवल मन का संगीत
आओ लोगों के मन में
अहिंसा का संगीत गुंजाये
मिलकर कदम बढ़ायें
मानव को मानव से जोड़ें
हम हिंसक प्रवृतियों को छोड़ें
दुनियाँ में फैले
प्रेम प्यार अनुराग
शांत हो हिंसा की आग
एक दिन करना ही पड़ेगा
दुनियाँ को
महावीर का रास्ता स्वीकार
सच्चे अर्थों में तभी होगी
भगवान महावीर आपकी जय-जयकार ।
आतंकवाद
जेहादी नारों के दम पर द्वेष घृणा फैलाते हैं
जिनके फतवों के कारण धर्म आज शर्मिन्दा हैं
मानवता का हत्यारा ओसामा जब तक जिन्दा हैं
नापाक मदरसों में पढ़कर ये तालिबानी आये हैं
जिनके कारण आज विश्व में काले बादल छायें हैं
उग्रवाद की घटनाओं को अगर धर्म से जोड़ोगे
मानवता से धर्म का नाता तुम बिल्कुल ही तोड़ोगे
उन लोगो की क्या कहिये जो घर को आग लगाते हैं
अन्न यहाँ का खाते हैं और गीत वहाँ के गाते हैं
अमन चैन हमने दुनिया का हरगिज नहीं मिटाना हैं
आतंकवाद के कारिन्दों को मिलकर सबक सिखाना हैं ॥1॥
हम आतंकवाद को सहते दुनिया दर्शक बनी रही
उग्रवाद की हर साजिश पर निष्ठुर होकर तनी रही
पंजाब जला आतंकवाद से इन्दिरा का बलिदान हुआ
लंका में आतंकवाद से कितना लहुलुहान हुआ
लिट्टे के आतंकवाद से राजीव गांधी चले गये
आंतकवाद से लड़ते लड़ते हम सब कितना छले गये
मुंबई में दाऊद के गुंडे हमकों आँख दिखाते हैं
गुलशन जैसे भक्त यहां सड़को पर मारे जाते हैं
पर भारत आतंकवाद से कभी नहीं है घबराया
पंजाब समस्या को भी हमने अपने दम पर सुलझाया
अब उजड़ी केसर घाटी को फिर से हमे बसाना हैं ॥2॥
आतंकवाद की कोख को हम सब कह सकते है पाकिस्तान
ओसामा, मसूद और दाऊद ये सारे इसकी संतान
अमरीका की प्यार धुनो पर ओसामा ने डांस किया
अफगानी गलियों में जाकर चुपके से रोमांस किया
प्रेमिका बड़ी चालू थी प्रेमी का कान कतर डाला
अब ढूंढ रहे हैं बुश उसको लेकर हाथों में जयमाला
इस भारी-भरकम दुल्हन से बुश निकाह जरूर रचाएंगे
पाक करेगा कन्यादान अफगानी दहेज सजायेगें
हम हिन्दुस्तानी लोग सभी आज बनेंगे बाराती
तालिबान रोयेगा जैसे बेटी घर को है जाती
इस भारी-भरकम शादी से झूठा जेहाद मिटाना हैं ॥3॥
धर्म के ठेकेदारों ने आतंकवाद को भड़काया
खून-खून के रिश्तों को भी आपस में है लड़वाया
तलवार के दम पर कुछ हमको धर्म पढ़ाने आये हैं
स्कूल कालेजो में हमको कुछ धर्म सिखाने आये हैं
हम मानवता के अनुयाई हमने सबका ही मान किया
कुरान-बाईबल को हमने गीता जैसा सम्मान दिया
हम शिवशंकर के भक्त सभी धरती का जहर पिया हमने
गैरों को अपने आंगन में कैसा सम्मान दिया हमने
अब समय आ गया उग्रवाद से हम सबकों लड़ना होगा
धरती को अगर बचाना तो हमको तांडव करना होगा
इस भूली भटकी दुनिया को शक्ति का पाठ पढ़ाना हैं ॥4॥
बुध्द
बुध्द की प्रतिमायें तोडने वालों
अल्लाह तुम्हे माफ करे
मिटा सकते हो तो मिटाओ
कोटी कोटी ह्रदयों में बसने वाले
उस बुध्द को
पत्थरों पर
बहादुरी दिखाने वालो
कायरों !
तुम्हारी कायरता ने
किया है करोडो ह्रदयों को घायल
कौन से धर्म का
परचम फहराना चाहते हो तुम
तुम्हारे अज्ञान ने
अपमानित किया है धर्म
धर्म का आवरण छोडें
ज्ञान से अपने को जोडें
बुध्द की शरण में जायें
बुध्द हो जायें
बुध्दम शरणम गच्छामी ।
गुरु नानक
जिसने तोड गिराया था
ननकाना में जन्म लिया
नानक नाम कहाया था
मुगलों के अत्याचारो से
जन जन मन घबराया था
गुरु चरणों में आकर के
बाबर ने शीश झुकाया था
गुरु नानक ने मानवता की
घर घर अलख जगाई थी
जिसके कारण ही भारत में
नई रोशनी आई थी ।
खबर बाजार
बुरा ना बोलो
बुरा ना सुनो और
बुरा ना देखो का संदेश गुंजाते है.
भारतीय मीडीया पर
इसका इतना गहरा असर पाते हैं
इनको केवल
बुरा ही दिखता है
बुरा ही सुनता है
और बुरा बोलना तो
इनका अधिकार है
क्योंकि
भारतीय मीडिया समाज का दर्पण नही
एक बाजार है।
बाजार यानी प्रदर्शन
प्रदर्शन यानी दिखावा
सच्चाई के साथ छलावा।
कुछ न कुछ बोलना
देश की बखिया उधेड़ना
सुर्खियाँ बखेरना
खबरें परोसना
इनकी मजबूरी है
क्योंकि विज्ञापन खरीदना
और खबरें बेचना
इनको बहुत जरूरी है।
ओसामा के धमाके
भले ही अमरीका को हिला गए
पर मीडिया का जलवा दिखा गए
जो मीडिया देश के साथ खडा होता है
वास्तव में, वही सबसे बडा होता है ।
कविवर महाप्रज्ञ
आज महाप्रज्ञ।
आँखो से देखता हँ तो संत
कानों से सुनता हँ तो मनीषी और
पढ़ता हँ तो दार्शनिक लगते हैं।
”अक्षर को प्रणाम” काव्य संग्रह ने
एक नया इतिहास गढ़ा जब
उनको एक कवि के रूप में पढ़ा।
ये कवितायें नही
मन्त्र हैं, अनुष्ठान है
इनमें संगीत है, तान है
प्रेक्षा है, ध्यान है
अंहिसा का ज्ञान है
सत्य की गहराई है क्योंकि
ये कवितायें लिखी नहीं अपितु
संत के जीवन की पुण्याई है
अक्षर-अक्षर नयनाभिराम
कविवर महाप्रज्ञ को
शत-शत प्रणाम॥