मंदिर-मंदिर फैला है अभिशाप तुम्हारा
सारी दुनिया देख रही है पाप तुम्हारा
काशी-वापी दोनों में ही शिवशंकर हैं
न्यायालय में गया फ़िजूल प्रलाप तुम्हारा
वजुखाने में महादेव को क़ैद किया था
दुष्टो ! ये है पाप नहीं, महापाप तुम्हारा
गंगा जमनी की बातें अब बेमानी है
छल फरेब से भरा वार्तालाप तुम्हारा
डी एन ए की अगर खुदाई कभी हुई तो
राम-श्याम आख़िर निकलेगा बाप तुम्हारा
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