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Monday, March 7, 2016
Wednesday, February 3, 2016
पंच कल्याणक कवि सम्मेलन
जयपुर के दिगम्बर जैन समाज द्वारा महारानी फार्म प्रांगण में परम पूज्य राष्ट्रसंत श्री पुलकसागर जी महाराज के सानिध्य में पंच कल्याणक का भव्य कवि सम्मेलन किया गया।
संयोजन : श्री अब्दुल गफ्फार
संचालन : राजेश चेतन
काव्य पाठ : सुरेन्द्र यादवेन्द्र, मनोहर मनोज, प्रकाश प्रलय, सुमन सोलंकी
संयोजन : श्री अब्दुल गफ्फार
संचालन : राजेश चेतन
काव्य पाठ : सुरेन्द्र यादवेन्द्र, मनोहर मनोज, प्रकाश प्रलय, सुमन सोलंकी
Wednesday, September 3, 2014
Monday, September 1, 2014
Friday, August 29, 2014
Thursday, August 14, 2014
Monday, August 4, 2014
Sunday, August 3, 2014
Friday, October 25, 2013
Monday, August 12, 2013
जागरण संवाद
जागरण संवाद केन्द्र, भिवानी :
सास्कृतिक मंच द्वारा यहा सास्कृतिक सदन में बृहस्पतिवार को 9वा राज्यस्तरीय राजेश चेतन काव्य पुरस्कार व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। समारोह में मुख्यातिथि सभापा की प्रदेशाध्यक्ष नीलम अग्रवाल थी। समारोह अध्यक्ष अधिवक्ता गोपालकृष्ण पोपली एवं कर सलाहकार थे। विशिष्टि अतिथि के रूप में सुनील अग्रवाल थे। मंच संचालन अनीता नाथ ने किया। इस कार्यक्रम में कवि जगबीर राठी को राजेश चेतन काव्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हे 11 हजार रुपये की राशि, प्रशस्ति पत्र व श्रीफल देकर सम्मानित किया। सास्कृतिक मंच की अध्यक्ष शशिपरमार ने बताया कि मंच का गठन 1991 में किया गया था। पिछले 23 वर्षो से सास्कृतिक मंच द्वारा कला, साहित्य व संस्कृति को समर्पित कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। कवि कृष्ण गोपाल विद्यार्थी ने अपनी रचना प्रस्तुत की। तीर से डरते नहीं, तलवार से डरते नहीं।
हम सिवा बेलन किसी हथियार से डरते नहीं।।
जगबीर राठी की कविता की पंक्तिया कुछ यू थी।
छू ना सकूं जिसकी उचाई ऐसा गगन बना दिया।
बिखरी कला कोने-कोने में ऐसा कला उपवन बना दिया।
तुम्हारे मन की लगन ने हमको मन बना दिया।
पीढि़यों की रचनात्मकता को मिले छाव।
सास्कृतिक मंच ने सास्कृतिक सदन बना दिया।
इसके साथ ही उन्होंने माटी का चूल्हा शीर्षक से कविता प्रस्तुत कर सबको भाव विभोर कर दिया।
कवि यूसुफ भारद्वाज ने अपनी कविताएं प्रस्तुत करते हुए कहा कि
सारे जहा से अच्छा यह हिदुस्ता हमारा।
हम बुलबुले है इसको हमीं ने उजाड़ा।
इसके साथ ही युवा कवि मनोज भारत द्वारा प्रस्तुत कविता को उपस्थित लोगों ने खूब सराहा।
सत्ता किसके हाथ है, कुर्सी पर है कौन।
लोकलाल को लीलता, लोकतंत्र है मौन।
कवि नरेश शाडिल्य की कविता ने भी खूब तालिया बंटोरी
जुगनू बोला चाद से, उलझ न यूं बेकार।
मैंने अपनी रोशनी, पाई नहीं उधार।
बलजीत कौर तन्हा दिल्ली ने भी अपनी रचना प्रस्तुत की।
जो लोग हसते और हसाते है, वो मरकर स्वर्ग नहीं जाते है।
वो लोग तो जहा बसते है, उसी जगह को स्वर्ग बनाते है।।
गजेंद्र सोलंकी की कविता खूब सराही गई।
कभी सागर की गहराई में जाने की तमन्ना है
कभी आकाश के तारों को पाने की तमन्ना है।
अभी वो सीख न पाया जमीं पर चैन से रहना,सुना है चाद पर भी घर बनाने की तमन्ना है। राजेश चेतन की कविता के बोल कूछ यूं थे। दूसरी उपर दीप जलाना अच्छा है। अंधकार को दूर भगाना अच्छा है।
बाहर लाखों दीप जले है जलने दो।
भीतर मन का दीप जलाना अच्छा है।
कार्यक्रम में डा. बुद्धदेव आर्य, अनिल बजाज, जगतनारायण, डा. संजय अत्रि, श्याम वशिष्ठ, कौशल भारद्वाज, आरके शर्मा, सुरेश बापोड़िया, नवीन कौशिक, चित्रलेखा, गोपालकृष्ण पोपली, दलबीर ढाडा, संजय कामरा, संदीप कामरा, राममेहर शर्मा, संदीप वधवा, रणविजय तंवर, दीवानचंद रहेजा, चंद्रभान, पवन चादना, कृष्ण भारद्वाज समेत अनेक लोग मौजूद थे।
Tuesday, July 16, 2013
Saturday, January 8, 2011
Friday, November 19, 2010
दस्तक नए कवियों की…
नई दिल्ली, (जर्नलिस्ट टुडे नेटवर्क)... राष्ट्रीय कवि संगम ने हर बार की तरह इस बार भी कवियों की नई पीढ़ी का परिचय समाज से करवाया। संवेदना की थाती लिए कवि-सम्मेलनों में जगह तलाशते सोलह युवा रचनाकार 16 नवम्बर को राजधानी के टेक्निया सभागार में जनता से रू-ब-रू हुए। शब्दों का जादू सभागार को मंत्रमुग्ध करे इससे पूर्व अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त जादूगर सम्राट शंकर ने जादू के कार्यक्रम से दर्शकों का मनोरंजन किया। तत्पश्चात देश भर से चुने गए सोलह कवियों ने हास्य, ओज, शृंगार और संवेदना की छुअन से भरी कविताओं से सुनने वालों के दिल पर दस्तक दी। इन सोलह युवा प्रतिभाओं में वाणी गौरव गोलछा, सुमित मिश्रा, अनिता शर्मा, रोहित चौधरी, निशांत जैन, पार्थ नवीन, राधाकान्त, सचिन अग्रवाल, आलोक भाण्डोरिया, अंजुम शर्मा, लक्ष्मी भट्ट, मास्टर महेन्द्र, अनिल श्रीवास्तव और अनुराग पाठक शामिल थे। कवि-सम्मेलन का संचालन भिवानी के कवि श्याम वशिष्ठ शाहिद ने सफलतापूर्वक किया। इस अवसर पर वरिष्ठ कवि बालस्वरूप राही ने कहा- ‘अब से कुछ समय पहले मुझे ये चिंता होने लगी थी कि हिन्दी कविता कहाँ जा रही है, लेकिन आज इन युवा कवियों को सुनकर मुझे आश्चर्य मिश्रित प्रसन्न्ता हुई कि कविता यहाँ तक पहुँच गई है!’विख्यात हास्य कवि अरुण जैमिनी ने इस अवसर पर नए कवियों का उत्साहवर्द्धन करते हुए उन्हें कुछ ऐसे बिन्दुओं से अवगत कराया जो उनकी प्रतिभा को और अधिक सँवारने में सहयोगी हो सकते हैं।
http://www.journalisttoday. com/online-news/delhi-news/ 9813-2010-11-19-12-04-30
http://www.journalisttoday.
Tuesday, October 5, 2010
कवि सम्मेलन में राजनेताओं पर छोड़े व्यंगवाण
भिवानी, जागरण संवाददाता : रविवार रात महाराजा अग्रसैन जयंती के उपलक्ष्य में नई अनाज मंडी स्थित प्रांगण में श्री अग्रवाल सभा द्वारा राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन में देश कोने-कोने से आए रचनाकारों ने देश की सुरक्षा को लेकर जहां प्रश्न उठाए वहीं एकता व अखंडता को मजबूत बनाने का आह्वान किया। कवियों ने राजनेताओं को भी अपने तीखे व्यंगवाणों का निशाना बनाया। कवि सम्मेलन में अयोध्या मामला व राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन भी खूब चर्चित रहा। कवियों ने सम्मेलन को ऊंचाई प्रदान की लेकिन कार्यक्रम के बीच में ही डेढ़ बजे एकाएक बिजली गायब होने से मजा किरकिरा हो गया। आयोजकों द्वारा बिजली के लिए स्थापित किए गए जरनेटर का तेल खत्म हो गया। दिल्ली के राजेश चेतन ने अपनी रचना इस अंदाज में पढ़ी बात-बात में बात बनाना, उनके बस की बात नहीं। घर के लोगों को समझाना उनके बस की बात नहीं। खेल शुरू होने से पहले कलमाड़ी जी खेल गए, अब उनको आउट कर पाना उनके बस की बात नहीं। गजेन्द्र सोलंकी ने अपनी कविता इस अंदाज में पढ़ी जुग-जुग से कल-कल कर कहता गंगा जमुना का पानी है, हो जाति पंथ सब मले अलग, पर खून तो हिन्दुस्तानी है। डा. सुनील जोगी ने अपनी रचना के अंशों में राजनीति पर प्रहार किया। स्कूलों को लग गया जाने किसका शाप, शिक्षा मंत्री बन गया एक अंगूठा छाप। हास्य कवि यूसुफ भारद्वाज ने व्यवस्था की पोल यूं खोली। उन्होंने कहा शरीर में बल का, प्यास में जल का, समय में पल का आज नहीं कल का और भाई भैंस के लिए खल का मजा ही कुछ ओर है। हास्य कवि अनिल गोयल ने भी अपनी रचनाओं से खूब समां बांधा। राम सेतु पर उनकी रचना थी। वो जिनके नाम से भी तैरते पत्थर समुंदर में, उन्हें थे ढुंढते फिरते यहां दुनिया के मंदिर में, तुम्हे मिल जाएगा प्रमाण जो भी देखना चाहों, भक्त हनुमान जैसा बन कर देखों मन के मंदिर में। मेरठ के सौरभ जैन ने अपनी रचना इस अंदाज में पढ़ी। बंद करो ये नाटक अब सत्ता की मातम पुर्सी के, राम नहीं मोहताज किसी भी सिंहासन और कुर्सी के। हाथरस से आए पद्म अलवेला ने कवि सम्मेलन की शुरूआत की और उपस्थित जनों को खूब गुदगुदाया। मेरठ से आई कवियत्री अनामिका अंबर ने अपनी रचना इस अंदाज में पढ़ी। शाम भी खास है वक्त भी खास है, मुझको एहसास है तुझको एहसास है, इससे ज्यादा मुझे ओर क्या चाहिए, मैं तेरे पास हूं तू मेरे पास है। प्रो. श्याम वशिष्ठ ने अपनी पंक्तियां इस अंदाज में सुनाई। हो रहे है काम कुछ बेजोड़ तेरे शहर में, खून पीने की लगी है होड़ तेरे शहर में, कत्ल करके भी हमें जिंदा बताया जाएगा, जब लगेंगे आंकड़ों के जोड़ तेरे शहर में। कवि सम्मेलन में समस्त भारतीय पार्टी की सह राष्ट्रीय अध्यक्ष नीलम अग्रवाल मुख्यातिथि थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता विधायक घनश्याम सर्राफ ने की। इस अवसर पर पवन बुवानीवाला, संदीप सिंह तंवर, अशोक बुवानीवाला, सिविल सर्जन शिवकुमार व कांफेड के चेयरमैन बजरंग दास गर्ग उपस्थित थे। श्री अग्रवाल सभा के प्रधान विजय बंसल टैनी ने अतिथियों का स्वागत किया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंटकर सभा द्वारा सम्मानित किया गया।
खेल शुरू होने से पहले कलमाड़ी खेल गए...
भास्कर न्यूज & भिवानी
बात-बात में बात बनाना, उनके बस की बात नहीं, घर के लोगों को समझाना उनके बस की बात नहीं, खेल शुरू होने से पहले कलमाड़ी जी खेल गए, अब उनको आउट करवाना, उनके बस की बात नहीं। अग्रवाल समाज की ओर से महाराजा अग्रसेन जयंती के उपलक्ष्य में रविवार रात को शहर की नई अनाज मंडी में कवि सम्मेलन में जब कवि राजेश चेतन ने कॉमनवेल्थ खेलों के आयोजन में गड़बड़झाले पर अपनी पंक्तियां पढ़ीं तो सारा पंडाला तालियों से गूंज उठा। वीर भूमि हरियाणा के बारे में उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र की भूमिवाला हरियाणा, इसा साधा भोला-भाला हरियाणा, राष्ट्र देव की वेदी उपर वीरों ने, अर्पित की मुंडों की माला हरियाणा, हर पार्क में ताऊ देवीलाल खड़े, राजनीति का गड़बड़झाला हरियाणा सुनाकर श्रोताओं का खूब मनोरंजन किया।
सौरभ सुमन ने राममंदिर फैसले पर कसीदे पढ़े और सुनाया कि बंद करो ये नाटक, अब सत्ता की मातमपुर्सी के, राम नहीं मोहताज, तुम्हारे सिंहासन और कुर्सी के। सौरभ की पत्नी अनामिका जैन अंबर ने दीपावली पर शहीद के बेटे की मनोदशा का चित्रण अपनी कविता के माध्यम से किया और कविता सुनाई कि चारों तरफ उजाला, पर अंधेरी रात थी, जब वो हुआ शहीद, उन दिनों की बात थी, आंगन में बेटा, मां से पूछे बार-बार, दीपावली पर क्यों न आए पापा अबकी बार।
कवि गजेंद्र सोलंकी ने अपनी कविता के माध्यम से लोगों से भारत की संस्कृति को बचाने की अपील की। उनकी कविता इस प्रकार थी कि जगे नहीं तो खो जाएगी, भारत की पहचान, गऊ, गंगा, गायत्री, गीता, वेदों का वरदान, बचा लो अपना हिंदुस्तान, राम-कृष्ण, गौतम-गांधी के सपनों का अरमान, बचा लो अपना हिंदुस्तान। कवि पदम अलबेला ने अपनी कविता के माध्यम से खूब वाहीवाही लूटी। उन्होंने नेताओं पर कसीदे पढ़े और कविता सुनाई कि पिछले चुनावों में, मुद्दों के अभावों में, नेताओं ने द्वेष का कसेला घूंट पीया है, एक दूसरे को बदनाम करने के लिए अबके प्रचार में बड़ा ही रस लिया है,
गांव कलिंगा के समाजसेवी स्व. लक्ष्मीनाराण गोयल के पुत्र दिल्ली निवासी अनिल गोयल ने भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने जहां अपनी हास्य कविताओं से सबको लोटपोट किया वहीं रामसेतू पर कविता पाठकर नेताओं को नसीहत दी। उनकी कविता इस प्रकार थी कि वो जिनके नाम से भी तैरते पत्थर समंदर में, उन्हें ये ढूंढना चाहे, यहां दुनिया में मंजर में, तुम्हें मिल जाएगा प्रमाण जो भी देखना चाहो, भक्त हनुमान जैसा बनके देखो मन के मंदिर में। इसी प्रकार कवि प्रोफेसर श्याम वशिष्ठ, यूसुफ भारद्वाज एवं सुनील जोगी ने अपनी-अपनी कविताओं से कार्यक्रम में समां बांधा। कांफेड के चेयरमैन बजरंगदास गर्ग, श्रीअग्रवाल सभा प्रधान विजय बंसल टैणी, देवराज तोशामिया, पवन बुवानीवाला, प्रवीण गर्ग, प्रवीण अग्रवाल आदि मौजूद थे।
Friday, October 1, 2010
Wednesday, January 27, 2010
हास्य की महफिल में खूब लगे ठहाके
सिलीगुड़ी : मनमोहन जी हर चुनाव में पीएम बन सकते हैं, चुनाव जीतकर एमपी बनना उनके बस की बात नहीं जैसी कई हास्यव्यंग्य के रस से भरी कविताओं को सुनकर दीनबंधु मंच में उपस्थित श्रोता हंसते-हंसते लोट-पोट हो गए। दैनिक जागरण के सहयोग से रंगमंच द्वारा आयोजित हास्य कवि सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय मंच संचालक व हास्यकवि राजेश चेतन ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अलावा मायावती, लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान व राज ठाकरे जैसे नेताओं पर व्यंग्य व हास्य के रस मिलाकर लोगों को खूब हंसाया। लाफ्टर चैंपियन प्रताप फौजदार ने नेताओं से लेकर चिकित्सक समेत कई अन्य लोगों पर चुटकुले सुनाए, जिसे सुनकर लोग देर तक हंसते रहे। उन्होंने हंसाने के साथ-साथ देशभक्ति कविता तिरंगा भी सुनाई, जिसने लोगों के मन को एकबारगी झकझोर दिया। रवि जैन के गीत अभिलाषा को लोगों ने काफी सराहा। वीर रस के कवि मिथिलेश गहमरी की कविता गांव के जीतने भी गदहे थे, सब नेता हो गए हैं, तुम खुद को नेता कहकर मेरे सुभाष को गाली मत दो व दुश्मन को जीते जी कभी भी कश्मीर मत देना जैसी कविताओं ने लोगों के दिल में बैठ बना लिया। कवि जगवीर राठी की कविता मैं जीऊं तो तिरंगे के लिए पर भी खूब तालियां बजीं। गणतंत्र दिवस नजदीक होने के कारण हास्य कवि सम्मेलन होने के बावजूद कवियों ने देशभक्ति रस में लोगों को सराबोर किया। इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत रंगमंच के करण सिंह ने सरस्वती वंदना के साथ किया, जबकि निरंजन मित्तल ने दीप प्रज्ज्वलित किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर मेयर गंगोत्री दत्त, विशेष अतिथियों में एसडीओ रजत सैनी, डा सुभाष दामले, सुरेश अग्रवाल, डा डीआर नकीपुरिया आदि उपस्थित थे।
Wednesday, November 25, 2009
Wednesday, November 18, 2009
'दस्तक नई पीढ़ी की' काव्योत्सव संपन्न


15 नवम्बर 2009, नई दिल्ली: ‘राष्ट्रीय कवि संगम’ के तत्वावधान में होने वाले ’दस्तक नई पीढ़ी की’ के शीर्षक से तृतीय काव्योत्सव का आयोजन रविवार को सम्पन्न हुआ। कविता पाठ के अतिरिक्त ’जगदीश मित्तल काव्य पुरस्कार’ और ’दूसरी दस्तक’ नामक एक काव्य संकलन का भी लोकार्पण किया गया।
दिल्ली के पीतमपुरा स्थित टैक्निया सभागार में रविवार की सुबह काव्यप्रेमियों के उत्सव की बेला थी। नए कवियों को मंच से जोड़ने में संलग्न माननीय श्री जगदीश मित्तल जी के जन्मदिवस पर आयोजित ‘दस्तक नई पीढ़ी की’ प्रतिवर्ष 15 नए कवियों को मंच से रू-ब-रू कराता है। इस वर्ष इस शृंखला में श्री विनय शुक्ल ’विनम्र’, श्री चरणजीत ’चरण’, श्री शैलेन्द्र शर्मा ‘शैल’, श्री महेन्द्र प्रजापति, श्री नीरज मलिक, श्री रमन जैन, श्रीमती राजरानी भल्ला, श्री जतिन्दर ’परवाज़’, श्री सत्येन्द्र सत्यार्थी, श्री अनिल गोयल, श्री अनुराग अगम, सुश्री शैलजा सिंह, श्री मनोज वाजपेई और श्री विनीत पाण्डेय आदि ने कविता पाठ किया। सभी कवियों ने अपनी मंत्रमुग्ध करने वाली कविताओं से श्रोताओं पर ऐसा सम्मोहन किया कि यह कार्यक्रम तय समय से दो घंटे अधिक चला। हास्य, ओज, श्रृंगार और संवेदना से भरी कविताएँ श्रोताओं को बांधे रखने में समर्थ रही।
कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप-प्रज्जवलन करके किया गया। दीप-प्रज्जवलन का कार्य श्री जगदीश मित्तल, श्री नरेश शांडिल्य, डॉ. नन्द किशोर, श्री श्याम जाजू, श्री यूसुफ भारद्वाज और श्री राजेश जैन ’चेतन’ के कर-कमलों से सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में ‘दूसरी दस्तक’ का लोकार्पण किया गया। इस पुस्तक में पिछले वर्ष के ‘द्वितीय काव्योत्सव’ में शिरक़त करने वाले पन्द्रह युवा कवियों की रचनाएँ सम्मिलित हैं। पुस्तक का लोकार्पण श्री बलबीर सिंह ‘करुण’, श्री लक्ष्मीशंकर वाजपेयी, श्री राजगोपाल सिंह और श्री यूसुफ़ भारद्वाज ने किया।
युवा कवियों के प्रोत्साहनार्थ प्रारंभ किया गया ‘जगदीश मित्तल काव्य पुरस्कार’ युवा कवि श्री चिराग़ जैन को दिया गया। उन्हें यह पुरस्कार उनकी उत्कृष्ट काव्य साधना तथा सामाजिक विकास के प्रति प्रतिबद्धता के लिए दिया गया। पुरस्कार स्वरूप युवा कवि को ग्यारह हज़ार रुपए की नकद राशि, एक प्रतीक चिन्ह तथा अंगवस्त्र भेंट किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता आकाशवाणी के निदेशक श्री लक्ष्मीशंकर वाजपेयी ने की। युवा कवियों को आशीर्वचन देने के लिए श्री नरेश शांडिल्य, श्री राजगोपाल सिंह और श्री यूसुफ़ भारद्वाज मौजूद थे। इसके अतिरिक्त श्री बलबीर सिंह करुण, श्री धर्मचंद अशेष, श्री सीमाब सुल्तानपुरी और श्री बाग़ी चाचा समेत तमाम कवि कार्यक्रम की गरिमा बढ़ा रहे थे। साहित्य जगत्, उद्योग जगत्, प्रशासन, राजनीति तथा पत्रकारिता जगत् की तमाम हस्तियाँ कार्यक्रम की शोभा बढ़ा रही थीं। विनय शुक्ल ‘विनम्र’ के सरस संचालन को लम्बे समय तक याद रखा जाएगा।
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