Sunday, August 1, 2010

कृपा निधान

(1)

कृष्ण कन्हैया जय नटनागर
जय जय जय हे कृपा निधान
कलयुग में अपने भक्तों का
आकर करना फिर कल्याण
आतंकवाद की छाया प्रभुजी
मंदिर कैसे आये हम
दुश्मन सिर पर नाच रहा है
कैसे खुशी मनाये हम
रक्तपात है सीमाओं पर
कैसे गीत सुनाये हम
अरुणांचल में चीन खड़ा है
कैसे उसे भगाये हम
रक्षा करना कृष्ण मुरारी
हम है तेरी ही सन्तान
कलयुग में अपने भक्तों का
आकर करना फिर कल्याण

(2)

महंगाई की मार पड़ी है
भोग लगाना मुश्किल है
सारा गुलशन खतरे में है
फूल चढ़ाना मुश्किल है
पेट्रोल हो रहा है बेकाबू
मथुरा आना मुश्किल है
घी तेल में चर्बी प्रभुजी
दीप जलाना मुश्किल है
कौरव दल है नेताओं का
चक्र चलाना हे घनश्याम
कलयुग में अपने भक्तों का
आकर करना फिर कल्याण

(3)

घोटाले ही घोटाले हैं
मंदिर कौन बनायेगा
कथाकार का शुल्क बहुत है
गीता कौन सुनायेगा
जमुना जब हो गंदा नाला
डुबकी कौन लगायेगा
पाकिस्तान जब है पड़ोस में
मैत्री कौन निभायेगा
बड़ी चुनौती अब है सम्मुख
तुम ही छेड़ो वंशी की तान
कलयुग में अपने भक्तों का
आकर करना फिर कल्याण

(4)

गौ माता के सिर पर आरी
कब तक हम चुपचाप रहें
गोवर्धन का खनन है जारी
कब तक हम चुपचाप रहें
मंदिर मस्जिद की लाचारी
कब तक हम चुपचाप रहें
कुरुक्षेत्र की फिर तैयारी
कब तक हम चुपचाप रहें
अर्जुन के संग आकर प्रभु जी
फिर गुंजाना गीता ज्ञान
कलयुग में अपने भक्तों का
आकर करना फिर कल्याण

1 comment:

Anonymous said...

समसामयिक प्रस्तुति - बहुत बहुत सुंदर