देहरी ऊपर दीप सजाना अच्छा है ।
अंधकार को दूर भगाना अच्छा है ।
बाहर लाखों दीप जलें है जलने दो
भीतर मन का दीप जलाना अच्छा है ।।
अंधकार को दूर भगाना अच्छा है ।
बाहर लाखों दीप जलें है जलने दो
भीतर मन का दीप जलाना अच्छा है ।।
कवि राजेश चेतन की हास्य व्यंग और विचार कविता की चौपाल में आपका स्वागत है। देखने के लिए यहाँ क्लिक करें https://twitter.com/rajeshchetan http://kavitakosh.org/kk/राजेश_चेतन
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