Thursday, February 7, 2008

आतंकवाद

निर्दोषों की हत्या को जो अपना धर्म बताते हैं
जेहादी नारों के दम पर द्वेष घृणा फैलाते हैं
जिनके फतवों के कारण धर्म आज शर्मिन्दा हैं
मानवता का हत्यारा ओसामा जब तक जिन्दा हैं
नापाक मदरसों में पढ़कर ये तालिबानी आये हैं
जिनके कारण आज विश्व में काले बादल छायें हैं
उग्रवाद की घटनाओं को अगर धर्म से जोड़ोगे
मानवता से धर्म का नाता तुम बिल्कुल ही तोड़ोगे
उन लोगो की क्या कहिये जो घर को आग लगाते हैं
अन्न यहाँ का खाते हैं और गीत वहाँ के गाते हैं
अमन चैन हमने दुनिया का हरगिज नहीं मिटाना हैं
आतंकवाद के कारिन्दों को मिलकर सबक सिखाना हैं ॥1॥

हम आतंकवाद को सहते दुनिया दर्शक बनी रही
उग्रवाद की हर साजिश पर निष्ठुर होकर तनी रही
पंजाब जला आतंकवाद से इन्दिरा का बलिदान हुआ
लंका में आतंकवाद से कितना लहुलुहान हुआ
लिट्टे के आतंकवाद से राजीव गांधी चले गये
आंतकवाद से लड़ते लड़ते हम सब कितना छले गये
मुंबई में दाऊद के गुंडे हमकों आँख दिखाते हैं
गुलशन जैसे भक्त यहां सड़को पर मारे जाते हैं
पर भारत आतंकवाद से कभी नहीं है घबराया
पंजाब समस्या को भी हमने अपने दम पर सुलझाया
अब उजड़ी केसर घाटी को फिर से हमे बसाना हैं ॥2॥

आतंकवाद की कोख को हम सब कह सकते है पाकिस्तान
ओसामा, मसूद और दाऊद ये सारे इसकी संतान
अमरीका की प्यार धुनो पर ओसामा ने डांस किया
अफगानी गलियों में जाकर चुपके से रोमांस किया
प्रेमिका बड़ी चालू थी प्रेमी का कान कतर डाला
अब ढूंढ रहे हैं बुश उसको लेकर हाथों में जयमाला
इस भारी-भरकम दुल्हन से बुश निकाह जरूर रचाएंगे
पाक करेगा कन्यादान अफगानी दहेज सजायेगें
हम हिन्दुस्तानी लोग सभी आज बनेंगे बाराती
तालिबान रोयेगा जैसे बेटी घर को है जाती
इस भारी-भरकम शादी से झूठा जेहाद मिटाना हैं ॥3॥

धर्म के ठेकेदारों ने आतंकवाद को भड़काया
खून-खून के रिश्तों को भी आपस में है लड़वाया
तलवार के दम पर कुछ हमको धर्म पढ़ाने आये हैं
स्कूल कालेजो में हमको कुछ धर्म सिखाने आये हैं
हम मानवता के अनुयाई हमने सबका ही मान किया
कुरान-बाईबल को हमने गीता जैसा सम्मान दिया
हम शिवशंकर के भक्त सभी धरती का जहर पिया हमने
गैरों को अपने आंगन में कैसा सम्मान दिया हमने
अब समय आ गया उग्रवाद से हम सबकों लड़ना होगा
धरती को अगर बचाना तो हमको तांडव करना होगा
इस भूली भटकी दुनिया को शक्ति का पाठ पढ़ाना हैं ॥4॥

3 comments:

Yogesh Gogia said...

totally excellent poem it will be really hit
u should publish it in some newspaper or magzine

Atul Srivastava said...

kya khoob likha aap ne atank vaad k bare me
thanks

Atul Srivastava said...

thanks