Thursday, October 28, 2010

दिवाली

राम अगर घर आयें दिवाली होती है ।
सब जब दीप जलाएं दिवाली होती है।

मिल जुलकर सब प्रेम प्यार से साथ रहें,
चेहरे जब मुस्काएं दिवाली होती है ।

साठ साल लखनऊ में भटके राम लला,
दिल्ली से बच जाएँ दिवाली होती है ।

नेता जी जो कान्हा जी के वंशज है,
पुरखे नहीं लजाएँ दिवाली होती है ।

पाँच कोस के बाहर मस्जिद भव्य बने,
हिन्दू हाथ बटाएं दिवाली होती है ।

सोमनाथ का समाधान सर्वोतम था,
फिर इतिहास दोहराएँ दिवाली होती है

1 comment:

poornesh said...

बहुत ही अच्छी कविता लिखी है आपने
आपको दिवाली की बधाई