राम के मन्दिर जाना,
राम लीला की रसीद कटवाना,
रामायण को गाना,
राम राम लिखना लिखवाना,
राम कथा के पोस्टर्स लगवाना,
राम की सवारी सजवाना,
राम जी को सोने का मुकुट चढ़ाना,
राम जी की आरती मे शंख बजाना,
राम जी को प्रसन्न करने की मजबूरी है,
इसलिये ये सब करना जरुरी है,
राम जी भी आज के,
नेताओं की तरह,
इन बातों से प्रसन्न हो्ते?
तो क्या अयोध्या की गद्दी ठुकराते और,
जंगल जाते,
वास्तव में राम जी प्रसन्न होते है,
केवट को किताब - राम जी खुश,
निषाद को जाब - राम जी खुश,
शबरी के घर डाक्टर - राम जी खुश,
भील के घर मास्टर - राम जी खुश,
जटायूँ को इंजेक्शन - राम जी खुश,
भालू के घर राशन - राम जी खुश,
आओ राम जी के मन्दिर में,
घंटे घड़ियाल के साथ-साथ,
जंगल जंगल अलख जगाएं,
और राम जी को प्रसन्न करने के लिये,
एकल का एक नन्हा दीप,
हम भी जलाएं,
शायद राम जी प्रसन्न हो जाए,
Sunday, August 16, 2009
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1 comment:
achchi rachna hai.
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