गान्धी जी के तीन बंदर
बुरा ना बोलो
बुरा ना सुनो और
बुरा ना देखो का संदेश गुंजाते है.
भारतीय मीडीया पर
इसका इतना गहरा असर पाते हैं
इनको केवल
बुरा ही दिखता है
बुरा ही सुनता है
और बुरा बोलना तो
इनका अधिकार है
क्योंकि
भारतीय मीडिया समाज का दर्पण नही
एक बाजार है।
बाजार यानी प्रदर्शन
प्रदर्शन यानी दिखावा
सच्चाई के साथ छलावा।
कुछ न कुछ बोलना
देश की बखिया उधेड़ना
सुर्खियाँ बखेरना
खबरें परोसना
इनकी मजबूरी है
क्योंकि विज्ञापन खरीदना
और खबरें बेचना
इनको बहुत जरूरी है।
ओसामा के धमाके
भले ही अमरीका को हिला गए
पर मीडिया का जलवा दिखा गए
जो मीडिया देश के साथ खडा होता है
वास्तव में, वही सबसे बडा होता है ।
Thursday, February 7, 2008
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