Monday, August 12, 2013

जागरण संवाद


जागरण संवाद केन्द्र, भिवानी :
सास्कृतिक मंच द्वारा यहा सास्कृतिक सदन में बृहस्पतिवार को 9वा राज्यस्तरीय राजेश चेतन काव्य पुरस्कार व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। समारोह में मुख्यातिथि सभापा की प्रदेशाध्यक्ष नीलम अग्रवाल थी। समारोह अध्यक्ष अधिवक्ता गोपालकृष्ण पोपली एवं कर सलाहकार थे। विशिष्टि अतिथि के रूप में सुनील अग्रवाल थे। मंच संचालन अनीता नाथ ने किया। इस कार्यक्रम में कवि जगबीर राठी को राजेश चेतन काव्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हे 11 हजार रुपये की राशि, प्रशस्ति पत्र व श्रीफल देकर सम्मानित किया। सास्कृतिक मंच की अध्यक्ष शशिपरमार ने बताया कि मंच का गठन 1991 में किया गया था। पिछले 23 वर्षो से सास्कृतिक मंच द्वारा कला, साहित्य व संस्कृति को समर्पित कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। कवि कृष्ण गोपाल विद्यार्थी ने अपनी रचना प्रस्तुत की। तीर से डरते नहीं, तलवार से डरते नहीं।
हम सिवा बेलन किसी हथियार से डरते नहीं।।
जगबीर राठी की कविता की पंक्तिया कुछ यू थी।
छू ना सकूं जिसकी उचाई ऐसा गगन बना दिया।
बिखरी कला कोने-कोने में ऐसा कला उपवन बना दिया।
तुम्हारे मन की लगन ने हमको मन बना दिया।
पीढि़यों की रचनात्मकता को मिले छाव।
सास्कृतिक मंच ने सास्कृतिक सदन बना दिया।
इसके साथ ही उन्होंने माटी का चूल्हा शीर्षक से कविता प्रस्तुत कर सबको भाव विभोर कर दिया।
कवि यूसुफ भारद्वाज ने अपनी कविताएं प्रस्तुत करते हुए कहा कि
सारे जहा से अच्छा यह हिदुस्ता हमारा।
हम बुलबुले है इसको हमीं ने उजाड़ा।
इसके साथ ही युवा कवि मनोज भारत द्वारा प्रस्तुत कविता को उपस्थित लोगों ने खूब सराहा।
सत्ता किसके हाथ है, कुर्सी पर है कौन।
लोकलाल को लीलता, लोकतंत्र है मौन।
कवि नरेश शाडिल्य की कविता ने भी खूब तालिया बंटोरी
जुगनू बोला चाद से, उलझ न यूं बेकार।
मैंने अपनी रोशनी, पाई नहीं उधार।
बलजीत कौर तन्हा दिल्ली ने भी अपनी रचना प्रस्तुत की।
जो लोग हसते और हसाते है, वो मरकर स्वर्ग नहीं जाते है।
वो लोग तो जहा बसते है, उसी जगह को स्वर्ग बनाते है।।
गजेंद्र सोलंकी की कविता खूब सराही गई।
कभी सागर की गहराई में जाने की तमन्ना है
कभी आकाश के तारों को पाने की तमन्ना है।
अभी वो सीख न पाया जमीं पर चैन से रहना,सुना है चाद पर भी घर बनाने की तमन्ना है। राजेश चेतन की कविता के बोल कूछ यूं थे। दूसरी उपर दीप जलाना अच्छा है। अंधकार को दूर भगाना अच्छा है।
बाहर लाखों दीप जले है जलने दो।
भीतर मन का दीप जलाना अच्छा है।
कार्यक्रम में डा. बुद्धदेव आर्य, अनिल बजाज, जगतनारायण, डा. संजय अत्रि, श्याम वशिष्ठ, कौशल भारद्वाज, आरके शर्मा, सुरेश बापोड़िया, नवीन कौशिक, चित्रलेखा, गोपालकृष्ण पोपली, दलबीर ढाडा, संजय कामरा, संदीप कामरा, राममेहर शर्मा, संदीप वधवा, रणविजय तंवर, दीवानचंद रहेजा, चंद्रभान, पवन चादना, कृष्ण भारद्वाज समेत अनेक लोग मौजूद थे।

No comments: