Tuesday, October 5, 2010

खेल शुरू होने से पहले कलमाड़ी खेल गए...


भास्कर न्यूज & भिवानी

बात-बात में बात बनाना, उनके बस की बात नहीं, घर के लोगों को समझाना उनके बस की बात नहीं, खेल शुरू होने से पहले कलमाड़ी जी खेल गए, अब उनको आउट करवाना, उनके बस की बात नहीं। अग्रवाल समाज की ओर से महाराजा अग्रसेन जयंती के उपलक्ष्य में रविवार रात को शहर की नई अनाज मंडी में कवि सम्मेलन में जब कवि राजेश चेतन ने कॉमनवेल्थ खेलों के आयोजन में गड़बड़झाले पर अपनी पंक्तियां पढ़ीं तो सारा पंडाला तालियों से गूंज उठा। वीर भूमि हरियाणा के बारे में उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र की भूमिवाला हरियाणा, इसा साधा भोला-भाला हरियाणा, राष्ट्र देव की वेदी उपर वीरों ने, अर्पित की मुंडों की माला हरियाणा, हर पार्क में ताऊ देवीलाल खड़े, राजनीति का गड़बड़झाला हरियाणा सुनाकर श्रोताओं का खूब मनोरंजन किया।

सौरभ सुमन ने राममंदिर फैसले पर कसीदे पढ़े और सुनाया कि बंद करो ये नाटक, अब सत्ता की मातमपुर्सी के, राम नहीं मोहताज, तुम्हारे सिंहासन और कुर्सी के। सौरभ की पत्नी अनामिका जैन अंबर ने दीपावली पर शहीद के बेटे की मनोदशा का चित्रण अपनी कविता के माध्यम से किया और कविता सुनाई कि चारों तरफ उजाला, पर अंधेरी रात थी, जब वो हुआ शहीद, उन दिनों की बात थी, आंगन में बेटा, मां से पूछे बार-बार, दीपावली पर क्यों न आए पापा अबकी बार।

कवि गजेंद्र सोलंकी ने अपनी कविता के माध्यम से लोगों से भारत की संस्कृति को बचाने की अपील की। उनकी कविता इस प्रकार थी कि जगे नहीं तो खो जाएगी, भारत की पहचान, गऊ, गंगा, गायत्री, गीता, वेदों का वरदान, बचा लो अपना हिंदुस्तान, राम-कृष्ण, गौतम-गांधी के सपनों का अरमान, बचा लो अपना हिंदुस्तान। कवि पदम अलबेला ने अपनी कविता के माध्यम से खूब वाहीवाही लूटी। उन्होंने नेताओं पर कसीदे पढ़े और कविता सुनाई कि पिछले चुनावों में, मुद्दों के अभावों में, नेताओं ने द्वेष का कसेला घूंट पीया है, एक दूसरे को बदनाम करने के लिए अबके प्रचार में बड़ा ही रस लिया है,

गांव कलिंगा के समाजसेवी स्व. लक्ष्मीनाराण गोयल के पुत्र दिल्ली निवासी अनिल गोयल ने भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने जहां अपनी हास्य कविताओं से सबको लोटपोट किया वहीं रामसेतू पर कविता पाठकर नेताओं को नसीहत दी। उनकी कविता इस प्रकार थी कि वो जिनके नाम से भी तैरते पत्थर समंदर में, उन्हें ये ढूंढना चाहे, यहां दुनिया में मंजर में, तुम्हें मिल जाएगा प्रमाण जो भी देखना चाहो, भक्त हनुमान जैसा बनके देखो मन के मंदिर में। इसी प्रकार कवि प्रोफेसर श्याम वशिष्ठ, यूसुफ भारद्वाज एवं सुनील जोगी ने अपनी-अपनी कविताओं से कार्यक्रम में समां बांधा। कांफेड के चेयरमैन बजरंगदास गर्ग, श्रीअग्रवाल सभा प्रधान विजय बंसल टैणी, देवराज तोशामिया, पवन बुवानीवाला, प्रवीण गर्ग, प्रवीण अग्रवाल आदि मौजूद थे।

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