कवि राजेश चेतन की हास्य व्यंग और विचार कविता की चौपाल में आपका स्वागत है। देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
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Wednesday, April 8, 2009
गुप्तिसागर
गुरुवर के दरवाजे देखो कैसा लगा नजारा है। गुरुभक्ति के कारण ही तो हमको मिला सहारा है॥ महावीर को इन आँखों से हम तो देख नहीं पाये। इन्हे देखकर लगता जैसे हमने उन्हे निहारा है॥
1 comment:
बहुत बढिया ...
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