
कला योग विज्ञान धर्म का चम चम करता तारा है।
सागर से भी गहरा सागर गुरुवर हमको प्यारा है॥
सागर से गुप्तिसागर की तुलना ही बेमानी है।
ये ममता का मीठा सागर जबकि वो तो खारा है॥
कवि राजेश चेतन की हास्य व्यंग और विचार कविता की चौपाल में आपका स्वागत है। देखने के लिए यहाँ क्लिक करें https://twitter.com/rajeshchetan http://kavitakosh.org/kk/राजेश_चेतन
No comments:
Post a Comment