Thursday, May 27, 2021

हर सप्ताह 6.0

 घर-भर का सम्मान हमारी बेटी है
दो-दो कुल की शान हमारी बेटी है

इक दिन छोड़ के जाना है घर की चौखट
कुछ दिन की मेहमान हमारी बेटी है

दुर्गा नवरात्रों में हम वंदन करते
सचमुच की भगवान हमारी बेटी है

लिखने-पढ़ने में तो अव्वल है ही वो
खेल में भी कप्तान हमारी बेटी है

कृपा हुई है लक्ष्मी की घर आँगन में
बहुत बड़ी धनवान हमारी बेटी है

दादी नानी अम्मा है उसके अंदर
पुरखों का अभिमान हमारी बेटी है

साइकल, बाइक, कार चलाना जान गई
भरती रोज़ उड़ान हमारी बेटी है

घर-आँगन में ख़ूब उजाला है उससे
खिड़की-रोशनदान हमारी बेटी है

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