Thursday, May 27, 2021

हर सप्ताह 5.0

 सत्य अहिंसा हुई मुहाल, गांधी फिर से आ जाओ
नेता-अफसर मालामाल, गांधी फिर से आ जाओ

सत्ता के गलियारों में कुछ नकली 'गांधी' बैठ गये
लगते हैं ये निरे दलाल, गांधी फिर से आ जाओ

भाग गए अंग्रेज़ भले ही पर अंग्रेजी ज़िंदा है
हिंदी है दर दर बेहाल, गांधी फिर से आ जाओ

माल विदेशी बड़ी शान से हाट हाट में बिकता है
आज स्वदेशी है बदहाल, गांधी फिर से आ जाओ

चरखा टूटा, नेताओं ने खादी की बर्बादी की
नहीं बचा है एक रुमाल, गांधी फिर से आ जाओ

गांव-खेत को छोड़ छोड़ अब जनता शहरों में बसती
है किसान बिल्कुल कंगाल, गांधी फिर से आ जाओ

गौ को माता बेशक बोलें, गौहत्या अब तक जारी
नहीं दीखता अब गोपाल, गांधी फिर से आ जाओ

दूध दही की नदियां बहती होंगी भारत में पर अब
जगह जगह मदिरा के ताल, गांधी फिर से आ जाओ

रामलला को न्यायालय में न्याय मांगते देखा है
रामराज अब बना सवाल, गांधी फिर से आ जाओ

कुर्सी वाले राजघाट पर बड़ी बड़ी कसमें खाते
करते तेरा इस्तेमाल, गांधी फिर से आ जाओ

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