बात बात में बात बनाना उनके बस की बात नही।
घर के लोगों को समझाना उनके बस की बात नही॥
लाल बुझक्कड़ अहंकार में ऐठें ऐठें घूम रहे।
एक सिंहनी से टकराना उनके बस की बात नही॥
गाली गाली छोड़ के लालू माफी माफी खेल रहे।
काग्रेंस को अब बहकाना उनके बस की बात नही॥
अडवानी जी पी॰ एम॰ की कुर्सी को लेकर अड़े रहे।
और प्रतीक्षा करते रहना उनके बस की बात नही॥
लोजपा की लाज बची ना, पासवान ना पास हुये।
घुड़की दे अब मंत्री बनना उनके बस की बात नही॥
जात पात का हाथी लेकर हाथ हिलाना आता है।
उस हाथी पर दिल्ली आना उनके बस की बात नही॥
मनमोहन जी हर चुनाव में पी॰ एम॰ तो बन सकते हैं।
लोक सभा का एम॰ पी॰ बनना उनके बस की बात नही॥
Sunday, May 17, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
pahle bhi yah rachna padhi hai, aaj phir sukh mila........badhai
जात पात का हाथी लेकर हाथ हिलाना आता है।
उस हाथी पर दिल्ली आना उनके बस की बात नही॥
बहुत खूब चेतन जी
एक उम्दा रचना ........... राजनीति के अवसरवाद पर एक बहुत ही सटीक प्रहार
Post a Comment