बात बात में बात बनाना उनके बस की बात नही।
घर के लोगो को समझाना उनके बस की बात नही॥
चिदंबरम जिन्दल के संग मे आडवाणी जी धरे गये।
रोज रोज यूं जूते खाना उनके बस की बात नही॥
राज ठाकरे अपने भाई उद्धव से लड़ सकते है।
भाई दाऊद जी से लड़ना उनके बस की बात नही॥
कामरेड जी कांग्रेस से आंख मिचौली खेल रहे।
कांग्रेस बिन कुर्सी पाना उनके बस की बात नही॥
गृह मंत्री पत्रकार से जूते तो खा सकते है।
सिक्खों से अब पंगा लेना उनके बस की बात नही॥
सज्जन कुमार और जगदीश टाईटलर जोर जोर से रोते है।
हाई कमान को आंख दिखाना उनके बस की बात नही॥
मनमोहन को आडवाणी जी रोज रोज ललकार रहे।
टी वी पर अब खुलकर आना उनके बस की बात नही॥
अमर मुलायम के कन्धे पे सन्जु बाबा नाच रहे।
माया दीदी से बच पाना उनके बस की बात नही॥
वरुण गांधी पर सारे मिलकर रासुका तो लगवा दो।
गद्दारो को हाथ लगाना उनके बस की बात नही॥
भोली भाली जनता उपर टैक्स लगाना आता है।
स्विस बैंको से पैसा लाना उनके बस की बात नही॥
लालू जी और मात राबड़ी गाली गाली खेल रहे।
नीतिश कुमार से आंख मिलाना उनके बस की बात नही॥
Monday, April 20, 2009
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5 comments:
समसामायिक रचना..
सटीक व भली कही जी
बेहतरीन!! बहुत सटीक!
RAJESHJI BADHAI HO TAZA HALAT PAR AAP KI GARMAGARM RACHNA PADH KAR ANAND MILA..........LAG-BHAG SARE VISHYA-VIKAARON KO AAPNE BHALI BHANTI KAAM ME LIYA HAI
WISH YOU ALL THE BEST
-albela khatri
www.albelakhatri.com
बहुत सटीक रचना है ! बधाई स्वीकार करें !
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