Monday, October 27, 2008

पटेल


लौह पुरुष मतवाला था
भारत का रखवाला था

गद्दारों की छाती में
गडने वाला भाला था

सब सूबों रजवाडों को
एक सूत्र में ढाला था

राजनीति नभ मंडल में
वो नक्षत्र निराला था

उस लोहे ने जिसे छुआ
इक पारस कर डाला था

पल में एक हलाहल था
पल में अमृत हाला था

काश्मीर का ही उससे
क्योंकर पडा ना पाला था

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