लग रहा है पेड़ को, खा जाएंगी ये पत्तियां
फूल का सारा शहद, पी जाएंगी मधुमक्खियां
देश की जनता के हाथों में हैं केवल गुठलियां
रस तो सारा चूसती हैं, लाल नीली बत्तियां
डा॰ सुनील जोगी, दिल्ली

भारत के परिंदों की जग में
पहचान तो जिन्दा है
रहें कहीं भी दिल में
हिन्दुस्थान तो जिन्दा है
गजेन्द्र सोलंकी, दिल्ली

महा कवि और दार्शनिक, धीर वीर गंभीर
महाप्रज्ञ जी आप है, नवयुग के महावीर
राजेश चेतन, दिल्ली
1 comment:
बढ़िया है. पढ़वाने का शुक्रिया.
Post a Comment