Wednesday, March 26, 2008

वन्दे मातरम का गायक नहीं रहा


पीतमपुरा में होली कवि सम्मेलन अपने चरम पर था छोटे माइक पर बैठा मैं संचालन कर रहा था मंच पर श्री ओम प्रकाश आदित्य, डा॰ अर्जुन शिशौदिया, श्रीमती ॠतु गोयल, श्री यूसुफ भारद्वार, श्री मनोज कुमार ‘मनोज’ व डा॰ कृष्णकान्त मधुर उपस्थित थे तभी कवि चिराग जैन चुपके से मेरे पास आया और कान में कहा कि भैया श्रवण राही नहीं रहे जैसे ही ताली के लिए हाथ उपर जा रहा था अचानक झटका लगा। समाचार पर विश्वास ही नहीं हुआ इस समय प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक श्री राज कपूर का वह वाक्य “शो मस्ट गो ओन” मेरे को याद आ रहा था सामने खचाखच भरा हाल कविता के आनन्द में डूबा था और मैं श्रवण राही की स्मृतियों में डूबा अपने आप से संघर्ष कर रहा था जैसे तैसे कार्यक्रम सम्पन्न किया अन्य कवियों के टेलीफोन लगातार मेरे मोबाइल पर आ रहे थे प्रातः अंतिम यात्रा का समाचार शम्भु शिखर के एस एम एस से मिला मैं श्री गजेन्द्र सोलंकी के साथ अंतिम संस्कार से लगभग एक घंटा पहले ही श्मशान घाट पहुंच गया था समस्त कवि समाज आपस में श्रवण राही जी के साथ अपने संस्मरणों पर चर्चा कर रहा था। यहां श्री महेन्द्र शर्मा, श्री लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, डा॰ श्यामानन्द सरस्वती, श्री नरेश शांडिल्य, सुश्री सीमा भारद्वाज, श्री राज गोपाल सिंह, श्री चिराग जैन, श्री शम्भु शिखर, श्री सतीश सागर, डा॰ धनंजय सिंह व हिन्दी के अन्य रचनाकार अंतिम यात्रा में सम्मिलित होने आए थे। राष्ट्रीय कवि संगम की ओर से पुष्प चक्र श्रवण राही जी को अर्पित किया गया। एक छोटी सी कागज की पर्ची पर वन्दे मातरम लिख कर कफन पे रखा गया था जब श्रवण राही का शरीर चिता पे रखने लगे तो वह वन्दे मातरम वाली पर्ची नीचे गिर पड़ी तब एक साथ कई स्वर निकले कि भैया राही जी की अंतिम इच्छा पूरी करो और यह वन्दे मातरम की पर्ची कफन पर ही सजा दो। विश्वास नहीं होता कि मृत्यु से आधा घंटा पूर्व काव्य पाठ करते हुए
“वतन के लाल मिटते है वतन पर मातरम वन्दे,
ये ख्वाहिश है कोई लिख दे कफन पर मातरम वन्दे”

ये पंक्तियां कवि सम्मेलन के मंच से गुंजाने वाला कवि होली के दिन वन्दे मातरम गाते हुए हमसे भले ही दूर चला गया होगा परन्तु फिजा में उसका वन्दे मातरम स्वर सदैव गुंजता रहेगा। श्रवण राही को शत शत प्रणाम।

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