Tuesday, March 25, 2008

भगत सिंह के इस देश में जयचंदों की जरूरत नहीं

मेरठ, जागरण संवाददाता : समाज को नपुंसक नुमाइंदों की जरूरत नहीं, भगत सिंह के इस देश में मीरजाफर, जयचंदों की जरूरत नहीं। सोमवार को रघुनंदन ज्वैलर्स और दैनिक जागरण के तत्वावधान में आयोजित पांचवीं काव्य संध्या ..यही बाकी निशां होगा पूरी तरह से शहीद-ए-आजम भगत सिंह को समर्पित रही। हर विधा के कवियों ने भगत सिंह बलिदान दिवस की स्मृति में पंक्तियां कहीं। इस दौरान जानेमाने शायर डॉ. बशीर बद्र को तीसरे रघुनंदन ज्वैलर्स काव्य चेतना सम्मान-2008 से सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय कवि संगम द्वारा संग्रहित काव्य संग्रह रंग दे वसंती का विमोचन किया गया। शहीद-ए-आजम भगत सिंह के बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में रघुनंदन ज्वैलर्स आबू प्लाजा और मीडिया पार्टनर दैनिक जागरण के सहयोग से पांचवीं काव्य संध्या में कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं की रगों में देशभक्ति का जोश भर दिया। काव्य संध्या का उद्घाटन आईजी मेरठ जोन वीके गुप्ता ने फीता काटकर किया। कैंट बोर्ड के सीईओ केसी गुप्ता ने दीप प्रज्ज्वलित किया। कवियत्री अनामिका अंबर ने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम की शुरूआत की। वरिष्ठ कवि ओम व्यास ओम ने अपने संचालन से माहौल को जीवंत बना दिया। दैनिक जागरण के वरिष्ठ निदेशक धीरेंद्र मोहन गुप्ता और रघुनंदन ज्वैलर्स के निदेशक राकेश प्रकाश अग्रवाल ने डॉ. बशीर बद्र को तीसरे रघुनंदन ज्वैलर्स काव्य चेतना सम्मान-2008 से सम्मानित किया। सम्मेलन में राष्ट्रीय कवि संगम द्वारा संग्रहित काव्य संग्रह रंग दे वसंती का विमोचन आरएसएस के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य और राष्ट्रीय कवि संगम के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार, जगदीश मित्तल, राजेश चेतन और डॉ. बशीर बद्र ने किया। इस पुस्तक में 42 कवियों की देशभक्ति से संबंधित कविताओं का संग्रह है इसके बाद डॉ. बशीर ने अपने शेरों से समां बांध दिया। उन्होंने चांद को चांद में मिलाऊ कैसे, गजल को गजल सुनाऊं क्या। हर तरफ कार, रेल और बस है, अब समंदर में घर बनाऊं क्या। उनके मशहूर शेर दुश्मनी जमकर करो मगर इतनी गुंजाइश रहे, अगर दोस्त बने तो शर्मिदा न हो। पर लोगों ने जमकर दाद दी। काव्य संध्या में चाहे श्रृंगार रस के कवि फरीदाबाद के दिनेश रघुवंशी रहे हो, कानपुर की कवियत्री प्रज्ञा विकास हो। सभी ने अपनी रचनाओं के जरिए भगत सिंह के बलिदान को याद किया। दिनेश रघुवंशी ने धूल जैसे कदम से मिलती है, जिंदगी रोज हमसे मिलती है से लोगों को गुदगुदाया भी। प्रज्ञा विकास ने किन्ही पुण्य कर्मो का फल बन गई हूं, सूखी नदी की कमल बन गई हूं गजल गाई। ब्यावर के शहनाज हिंदुस्तानी ने बहुत रोते है फिर भी दामन नम नहीं होता से माहौल को जोश से भर दिया। राजनीति के धनुष पर, धर्म की प्रत्यंचा चढ़ाए, वह कभी देश का भला नहीं चाहेगा। अगर डर गए इस लंगड़े कानून से तो देश फिर से गुलाम बन जाएगा। ने लोगों में जोश भर दिया। इसके अलावा कवि देवल आशीष ने कातिल को रिहाई, जुल्म को शह, जालिम के लिए जागीर है क्यों गीत प्रस्तुत कर लोगों की तालियां बटोरी। इसके अलावा अल्हड़ बीकानेरी ने अपने हास्य से लोगों को गुदगुदाया। ओमप्रकाश आदित्य, डॉ. विष्णु सक्सेना, विनीत चौहान और डॉ. मंजू दीक्षित ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का संचालन सौरभ जैन सुमन ने किया। विशिष्ट अतिथि संयुक्त व्यापार संघ के अध्यक्ष विजेंद्र अग्रवाल, मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जयप्रकाश अग्रवाल, भाजपा नेता विनीत अग्रवाल शारदा, कैंट बोर्ड के एक्सईएन अनुज सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता गजेंद्र सिंह धामा और सीए सुधीर मित्तल रहे। स्वागत समिति में दैनिक जागरण के क्षेत्रीय प्रबंधक अखिल भटनागर, रघुनंदन ज्वैलर्स के अंशुल अग्रवाल, बीआईटी के अनिल जैन, विवेक गर्ग, सर्वेश सर्राफ रहे। कवि सम्मेलन में दैनिक जागरण के इंद्रजीत, शैलेंद्र शर्मा, अभिषेक बाली, सत्यप्रकाश अग्रवाल, माला अग्रवाल आदि उपस्थित थे।

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