एड्स जागरुकता अभियान के अन्तर्गत गांव रिसालू में एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। श्री योगेन्द्र मौदगिल के प्रयासो से गांव तक कविता व कवि सम्मेलन की यात्रा संभव हुई। खेतों के बीच ये कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। राजेश चेतन के संचालन में देर रात तक चलने वाले इस कवि सम्मेलन में कवियों ने कुछ यूं काव्य पाठ किया -
मेरे दिलबर यार की बुत जैसी है शान।
अंदर तक पत्थर मगर चेहरे पर मुस्कान॥
डा॰ अशोक बत्रा, सोनीपत
चैन तो बेच दिया है, अमन को बेच देंगे ये,
मां के वीर शहीदों के कफन को बेच देंगे ये।
जाग जाओ रखवालों, कलमवालों सभी सुन लो,
भेड़िये भूखे कुर्सी के, वतन को बेच देंगे ये॥
अलीहसन मकरैंडिया, नोएडा
छोरा ना मान्या, जूल्म करग्या
मॉटी कै चूल्हे नै छत पै धरग्या
माँ के दुःखदे गोड्डे छत पै चढ़ते नही
छोरे भी आ कै माँ का दुःख आँख्यॉ कैं पढ़ते नही
बूढ़ी उम्मीद इब गोबर और गॉरा ल्यावै सै
आच्छा-सा घोल बणा कै छात काहनी लखावै सै
जब भी बरसै सै मींह, चूल्हा खुले मैं भीजै सै
अर एक माँ का दिल बार-बार पसीजै सै
अर एक माँ का दिल बार-बार पसीजै सै
जगबीर राठी, रोहतक
पनप रहे गद्दार देश का क्या होगा ?
अन्धे पहरेदार देश का क्या होगा ?
प्रश्न यही हरबार देश का क्या होगा ?
उत्तर ढूंढों यार देश का क्या होगा ?
योगेन्द्र मौदगिल, पानीपत
दोनों मातायें खडी, किसके लागूं पांय
बलिहारी मां सोनिया, पी एम दियो बनाए
राजेश चेतन, दिल्ली
Wednesday, February 27, 2008
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1 comment:
achha collection
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