बस्ती भर में हो रहा, होली का हुडदंग
तुम घर में क्यूँ बैठकर, करते मुझको तंग
पड़ोसन के गाल पे, जैसे मला गुलाल
बीवी का रंग हो गया, कुछ पीला कुछ लाल
एस एम एस शुभकामना, ई मेल से प्यार
इन्टरनेट पर हो रहा, होली का त्यौहार
पनघट मुझको घूरता, पानी में है आग
पिया गये परदेश में, कैसे खेलूँ फाग
लगा लिया है मांग में, चुटकी भर सिन्दूर
होली आंगन आ गई, फौजी हमसे दूर
Wednesday, February 13, 2008
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