ख़ूब निभाया नेताओं ने भाई चारा है
इन्हें विदेशी भाई चारा बेहद प्यारा है
सन् बासठ में हिन्दी-चीनी भाई चारा था
‘हिन्दी-चीनी भाई-भाई’ गूँजा नारा था
चाओ, माओ भाई-भाई कहते चढ आए
चुपके चुपके भारत की सरहद में बढ आए
और हज़ारों वर्गमील धरती को दाब लिया
तिब्बत को तो पूरे का पूरा ही चाब लिया
विश्व शान्ति का दूत झुकाए सर बेचारा है ॥
बंग्लादेशी भाई चारे को भी जान लिया
बीघा तीन हामारा, उसने अपना मान लिया
जीता ढाका हम भाई चारे में ह्हार गए
भाई बनकर बंग्लादेशी बाज़ी मार गए
चकमा देकर भारत भर में ‘चकमा’ रोप दिए
अपने गुंडे, चोर उचक्के हम पर थोप दिए
ऐसे दुष्टों का तो बस डण्डा हीइ चारा है ॥
नेताओं का भाई चारा जनता मान गई
इनक्के भाई चारे में जनता की जान गई
देश भक्ति, भाई चारे कीइ जमकर बातें है
कुर्सी के चक्कर में नेताओं की घातें है
शेयर, चीनी, घोटालों की बातें हैं छोटी
और ‘हवालों’ ने छीनी है जनता की रोटी
भ्रष्टाचारी नेताओं से भारत हारा है ॥
Tuesday, January 29, 2008
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