घर को आग लगाते हो
और नहीं शर्माते हो
ये हड़तालें, आगजनी
ग़लत राह क्यों जाते हो
भूखा है मज़दूर अगर
क्या उद्योग चलाते हो
कर बिजली, पानी चोरी
अपने महल बनाते हो
अधिकारों की ही चिंता
अच्छा फ़्रर्ज़ निभाते हो
Tuesday, January 29, 2008
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