जय हो तेरी शारदे माँ
हैं सभी तेरे पुजारी
ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने
आरती तेरी उतारी
वेद की पावन ॠचाएँ
तेरे कारण ही सँवरती
सप्त स्वर की दिव्य ध्वनि से
तू धरा की नींद हरती
तेरी वीणा के सुरों में
विश्व मंगल राग गूंजे
शारदे तेरा उपासक
तेरे शुभ चरणों को पूजे
तेरे मन्दिर में यहाँ माँ
काव्य संध्या सज रही है
तेरे हर साधक के स्वर में
तेरी वीणा बज रही है
मैं भी कुछ उदगार माते
तेरे चरणों में हूँ लाया
दे मुझे आशीष: अपना
माँ तेरे मन्दिर में आया
Tuesday, January 29, 2008
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