बोस सभी से न्यारा था
नेता वही हमारा था
ख़ून के बदले आज़ादी
नेताजी का नारा था
गोरे दिल्ली से भागे
उसने जब ललकारा था
सौ करोड़ हम नतमस्तक
प्राणों से भी प्यारा था
नील गगन में चमक रहा
भारत का ध्रुवतारा था
Tuesday, January 29, 2008
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