Tuesday, January 29, 2008

नेताजी

बोस सभी से न्यारा था
नेता वही हमारा था
ख़ून के बदले आज़ादी
नेताजी का नारा था
गोरे दिल्ली से भागे
उसने जब ललकारा था
सौ करोड़ हम नतमस्तक
प्राणों से भी प्यारा था
नील गगन में चमक रहा
भारत का ध्रुवतारा था

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