लन्दन, अमरीकी महलों से
सुन्दर अपनी ही कुटिया है
विश्व गगन में उड़ने वाली
भारत सोने की चिड़िया है
अपनी धरती अपनी माटी
अपनी माँ तो माँ होती है
परदेशी झूठन के ऊपर
देशभक्ति हर दम रोती है
जो कुछ रुखा-सुखा हमको
अपने घर पर मिल जाएगा
उससे ही अपनी धरती पर
खूब ग़ुज़ारा हो जाएगा
अपने प्रतिभाशाली बेटे
अब परदेश नहीं जाएँगे
उनको जो कुछ भी पाना है
राष्ट्र देव से ही पाएँगे
Tuesday, January 29, 2008
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