Thursday, January 10, 2008

प्रज्ञा टी वी पर परिचर्चा


10 जनवरी 2008 को "जिन्दगी में समझौते" विषय पर प्रज्ञा टी वी के खरी बात कार्यक्रम में एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा का संचालन श्री तारीक आलम खान ने किया तथा मनोविज्ञानिक सुश्री सिम्पल छाबड़ा व कवि राजेश चेतन ने परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए दूरभाष पर पूछे गये दर्शकों के प्रश्नों के उत्तर दिये। लगभग 50 लोगों ने इस लाईव कार्यक्रम में फोन पर सवाल किए परन्तु एक घन्टे की इस परिचर्चा में 18 लोगों के सवाल ही सम्मिलित किए जा सके।

सिम्पल छाबड़ा ने कहा कि हमें सिद्धान्तों से कभी समझौता नही करना चाहिए। जीवन मूल्यों को सदैव आंकते रहना चाहिए और यदि जीवन चलाने के लिए हमें थोड़ा बहुत अडजस्ट भी करना पड़े तो इसमे कोई बुराई नहीं है।

राजेश चेतन ने कहा सत्य का प्रकटीकरण थोड़ा विलम्ब से होता है इसका मतलब ये नहीं कि हम समझौता करें, हमें धैर्य रखना चाहिए। पुलिस अधिकारी किरण बेदी का उदाहरण देते हुए उन्होने कहा कि एक उदाहरण है कि जीवन में कभी समझौता नहीं किया तभी हम किरण बेदी को सेल्यूट करते हैं। पारिवारिक मामले में भारत रामायण का देश है अपने परिवार व परिजनों की प्रसन्नता हमारे लिए बहुत महत्व रखती है अतः हमारे अपनो की प्रसन्नता के लिए हमें सदैव समझौता करने को तैयार रहते हैं और ये भारत की शाश्वत परम्परा हैं, परन्तु राष्ट्र के संदर्भों में हमें कभी भी समझौता नहीं करना चाहिए।

कार्यक्रम के सूत्रधार श्री तारिक आलम खान ने परिचर्चा का बहुत ही सफल संचालन किया।

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