Thursday, May 27, 2021

हर सप्ताह 29.0

 करुणा से मन जाए डोल, कविता हो जाती है
भावों-शब्दों का मेलजोल, कविता हो जाती है

दोहे, गीत, ग़जल, चौपाई बन ही जाते हैं
कल्पना-बिम्ब में रंग घोल, कविता हो जाती है

तुलसी, सूर, कबीरा,नानक, मीरा की वाणी
बोल-बोल हर-हरि बोल, कविता हो जाती है

मंदिर में ये भजन-आरती, गुरुद्वारे में शब्द
पीर-फ़क़ीर दुआ अनमोल, कविता हो जाती है

मतला, मक़्ता, ग़जल, शेर बातें ऊँची गहरी
वज़्न-बहर में तोल-तोल, कविता हो जाती है

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