पाने को तूँ सब कुछ पा
औ परदेशी घर तो आ
डॉलर बेशक कुछ भी है
अम्मा आखिर है अम्मा
पिज़्ज़ा बर्गर में खोया
अपने घर की रोटी खा
पनघट तुझको ढूंढ रहा
आकर अपनी प्यास बुझा
गांव की मिट्टी लाया हूँ
अपने संग में लेता जा
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कवि राजेश चेतन की हास्य व्यंग और विचार कविता की चौपाल में आपका स्वागत है। देखने के लिए यहाँ क्लिक करें https://twitter.com/rajeshchetan http://kavitakosh.org/kk/राजेश_चेतन
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