दिन दिन बढ़ता जा रहा अब बस्तो का भार।
भारी बस्ता देखकर है कुछ तो सोच विचार॥
कुछ तो सोच विचार जेब को खाली पाया।
देख फीस का बोझ बाप का दिल घबराया॥
ये बोझ कन्धे पर हरदम होगा भारी।
बालक होंगे कुली बनेंगे बाप भिखारी॥
कवि राजेश चेतन की हास्य व्यंग और विचार कविता की चौपाल में आपका स्वागत है। देखने के लिए यहाँ क्लिक करें https://twitter.com/rajeshchetan http://kavitakosh.org/kk/राजेश_चेतन
1 comment:
सटीक बिलकुल सही
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