Monday, August 10, 2009

जन-जन को जगाना है, नई क्रांति लाना है


दैनिक जागरण का आभार
भिवानी, जागरण संवाददाता : शनिवार रात दिनोद गेट स्थित सूर्या बैैंक्वेट में सांस्कृतिक मंच द्वारा राज्य स्तरीय राजेश चेतन काव्य पुरस्कार एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। समारोह में वन पर्यटन मंत्री किरण चौधरी मुख्यातिथि थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता गणेश गुप्ता ने की। इस अवसर पर नगर परिषद चेयरपर्सन सेवा देवी ढिल्लो विशिष्ट अतिथि थी। चन्द्रभान सुईवाला स्वागत अध्यक्ष थे। कार्यक्रम में राजेश चेतन काव्य पुरस्कार ओज के कवि अरुण मितल अद्भुत को दिया गया। इस अवसर पर वन पर्यटन मंत्री किरण चौधरी घोषणा की सांस्कृतिक मंच के तत्वावधान में प्रदेश के पूर्व मंत्री चौ. सुरेन्द्र सिंह के जन्म दिवस पर हर वर्ष काव्य सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। सम्मान समारोह के बाद कवि सम्मेलन में अलग-अलग अंदाज में कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की और वर्तमान व्यवस्था पर जमकर कटाक्ष किए। किसी ने पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात की तो किसी ने अमेरिका व चीन को कमजोर बताया। कश्मीर मुद्दा भी कवियों के एजेंडे में मुख्य रहा। कवि सम्मेलन की शुरूआत दिल्ली के कवि हरमेंद्र पाल ने माँ सरस्वती की वंदना के साथ की। उनकी रचना जन-जन को जगाना है, नई क्रांति लाना है। एक बार सब मिल कर बोलो आतंकवाद मिटाना है को खूब सराहा गया। वरिष्ठ कवि राजेश चेतन जैन ने अपनी कविता उसके बस की बात नही माध्यम से अमेरिका, पाकिस्तान, चीन पर निशाने साधे। उन्होंने इस कविता में राजनेताओं के चरित्र को भी लपेटा और वर्तमान व्यवस्था को बदलने का परामर्श भी दिया। हास्य कवि बागी चाचा ने वर्तमान परिवेश के परीक्षा ढर्रे पर जम कर कटाक्ष किए। उनकी रचना थी तोड़ दे अब जाति ओर धर्म की मचान को, भूल जा अभी तू गीता और पुराण को, बट चुकी है यह धरती आज तुकड़ों में बहुत, धर्म तू बना ने अपना पूरे आसमान को। चंडीगढ़ साहित्य अकादमी के सचिव माधव कौशिक ने भी सारगर्भित काव्य पाठ कर उपस्थित जनों का मन मोहा। दिल्ली के कवि कलाम भारती ने आतंकवाद, मजहब की लड़ाई पर करारी टिप्पनी की। उनकी कविता की पंक्तियां थी मंदिरों में गूंजते है पुण्य स्वर आरती के, मज्जिादों में होती है पवन अजान है। शुभ हो जाता प्रभात गिरजा की घंटियों से गुरूद्वारे देते गुरुओं का दिव्य मान है। गीता, पुराण, बाइबल हो या गुरुग्रंथ पाते सभी भारत में आदर सम्मान है को भी पंडाल ने तालियों की गड़गड़ाहट से समर्थन दिया। अरुण मितल अधवूत की कविता की पंक्तियां थी मेरे भारत की आजादी जिनकी बेमोल निशानी है, जो सींच गए यूं धरती, इक उनकी अमर कहानी है। मंच संचालन कर रहे चिराग जैन ने अपनी रचना सुनाई जहां हमको जन्नत का मंजर मिला है वहां तुमको बस पत्थर मिला है, कोई तेरी रहमत को माने ने माने, तेरा नाम सबकी जुवा पर मिला है। दिल्ली की ही व्यंगकार बलजीत कौर तन्हा ने जूतों की महिमा सुनाई उनकी लाईन थी। जूते ने आज पांव में आने से किया इंकार, बोला तुम कवि हो तो पहले सुनो मेरी पुकार, नही चाहता किसी पीएम पर डाला जाऊं, नही चाहता किसी पर डाला जाऊं, गर चाहते हो मुझे मारना तो मेरी चाहता को समझ जाओ, जूता उठाना तुम बाद में पहले कसाव को चौराहे पर लटकाओ। स्थानीय कवि हनुमान प्रसाद अग्निमुख ने अपनी कविता के माध्यम से पाकिस्तान को दो-दो हाथ करने की चेतावनी दी। उनकी काव्य पाठ के दौरान पंडाल निरंतर तालियों से गूंजता रहा। कवि सम्मेलन के समापन पर सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष डॉ. बीबी दीक्षित, महासचिव जगत नारायण भारद्वाज ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के संयोजक दीवान चंद रहेजा व शशि परमार ने सफल आयोजन के लिए मंच के सदस्य व पदाधिकारियों को बधाई दी।

अजय सैनी

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