Tuesday, February 10, 2009

होली

वसंत पंचमी सरस्वती पूजन का पवित्र दिन है ॠतुराज वसंत दरवाजे दस्तक देता है प्रकृति अपने यौवन पर होती है और होली के आगमन की तैयारी आरम्भ हो जाती है कविवर सोहन लाल द्विवेदी ने ॠतुराज वसंत के लिये लिखा -
आया वसंत आया वसंत
छाई जग में शोभा अनंत।
सरसों खेतों में उठी फूल
बौरें आमों में उठीं झूल
बेलों में फूले नये फूल
पल में पतझड़ का हुआ अंत
आया वसंत आया वसंत।
वसंत को प्यार का पर्व भी कहा जाता है और हम सब जानते है वर्तमान में युवा पीढी वैलेन टाईन डे को प्यार के उत्सव के रुप में मना रही है भारत में वसंत उत्सव सदियों से प्यार से जुड़ा है आज भी ब्रज की होली संसार में सर्वाधिक लोकप्रिय है। प्रेम प्यार का यह त्योहार आज आतंक के साये में है तालिवानी मानसिकता आज भारत में भी दिखायी पड़ रही है इसलिये वर्तमान परिस्थितियों में आज युवा पीढ़ी के लिये कवि सोहन लाल द्विवेदी की पंक्तियां याद करता हूँ -
आ रही हिमालय से पुकार
है उदधि गजरता बार-बार
प्राची पश्चिम भू नभ अपार
सब पूछ रहे हैं दिग-दिगंत-
वीरों का कैसा हो बसंत
परन्तु रंगो का यह त्योहार होली समाज में और राष्ट्र में सब लोग मिलकर मनाये हम सब भाईचारे के रंगो से होली खेलें और मुझे अपनी ही कविता इस अवसर पर सटीक लगती है-
देश भक्ति के रंगों से ये होली हमें खेलनी होगी
काश्मीर की केसर मित्रो घर घर हमें भेजनी होगी
जाति भाषा मजहब की दीवारों को तोड़ गिराओ
रंगों की इस कीचड़ मे से मन मंदिर के कमल खिलाओ
रंग अबीर गुलाब छोड़िये माटि अपनी ही चन्दन है
इस माटि के तिलक लगाकर सबको होली अभिनन्दन है

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