Saturday, October 18, 2008

चुनावी बिगुल

चाहे हो मल्होत्रा या शीला सरकार
जनता से अब है नही नेताओं को प्यार
नेताओं को प्यार चुनावी बिगुल बजा है
टिकट बांटने नेता का दरबार सजा है
कह चेतन कविराय टिकट कि महिमा न्यारी
नेता जी की जीत सदा जनता तो हारी

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