Saturday, May 24, 2008

आरुषि


नगर नोएड़ा लगता कुछ घबराया है
एक पिता ने रिश्ता नहीं निभाया है
निठारी को नहीं भूला हम पाये थे
आरुषि ने फिर से हमें रुलाया है

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