
नगर नोएड़ा लगता कुछ घबराया है
एक पिता ने रिश्ता नहीं निभाया है
निठारी को नहीं भूला हम पाये थे
आरुषि ने फिर से हमें रुलाया है
कवि राजेश चेतन की हास्य व्यंग और विचार कविता की चौपाल में आपका स्वागत है। देखने के लिए यहाँ क्लिक करें https://twitter.com/rajeshchetan http://kavitakosh.org/kk/राजेश_चेतन
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