कवि राजेश चेतन की हास्य व्यंग और विचार कविता की चौपाल में आपका स्वागत है। देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
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Saturday, May 24, 2008
आरुषि
नगर नोएड़ा लगता कुछ घबराया है एक पिता ने रिश्ता नहीं निभाया है निठारी को नहीं भूला हम पाये थे आरुषि ने फिर से हमें रुलाया है
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