जिस प्रकार माँ सन्तानों से करती हरदम निश्छल प्यार
सुखपूर्वक बड़ा हो गय धरती माता का उपकार
हिन्दुभूमि हे मंगलकरणी पुण्यभूमि महिमा महान
तेरी काया तब चरणों में नमस्कार माँ बारम्बार
अंगभूत हम हिन्दुराष्ट्र के परम पिता प्रणाम लीजिये
कार्य तुम्हारा पूर्ण कर दें हमको ये वरदान दीजिये
अजय-शक्ति हो पास हमारे शील विनय से जग को जीतें
कंटक पथ जो अपनाया है ज्ञान कराकर सुगम कीजिये
वीरव्रती हो हृदय हमारा इह परलोक भी हिल जायेगा
तीव्र हृदय निष्टा कारण मन दरवाजा खुल जायेगा
विजय शालिनी शक्ति द्वारा धर्म बचाना बहुत जरूरी
राष्ट्र परम वैभव की चोटी निश्चित हमको मिल जायेगा ।
Thursday, February 7, 2008
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