Sunday, February 17, 2008

झांसी वाली रानी, मर्दानी याद कीजिये


कानपुर, शिक्षा संवाददाता: नमन उत्सव में हुये कवि सम्मेलन में देश भर से आये कवियों ने कविताओं के माध्यम से 1857 की क्रांति का बिगुल फूंका। उन्होंने 1857 की क्रांति हेतु झांसी वाली रानी मर्दानी याद कीजिये से राष्ट्र चेतना जगाई। देवेंद्र देव द्वारा प्रस्तुत वाणी वंदना के साथ शुरू हुए कार्यक्रम में गजेंद्र सोलंकी (दिल्ली) ने यूनियन जैक को कंपाने वाले क्रांतिवीर मंगल पांडे की कहानी याद कीजिये, बहादुरशाह नानासाहेब या तात्याटोपे, झांसी वाली रानी मर्दानी याद कीजिये से हुंकार भरी। राजेश जैन चेतन (दिल्ली) ने रोटी कमल निशान हमें क्यों याद नहीं,.नायक बड़े महान हमें क्यों याद नहीं पंक्तियों से नयी पीढ़ी को आजादी के गौरवशाली इतिहास का पढ़ाया। मदन गोपाल विरथरे मार्तण्ड की झांसी रानी के बलिदान पर केंद्रि कविता ने जोश भर दिया। संचालक कमलेश मौर्य मृदु ने आजादी का शंखनाद था अठारह सौ सत्तावन. पंक्तियों से आजादी के पहले समर को रेखांकित किया। पूनम रश्मि ने ध्रुव और भरत सा बांका बालपन और शेखर शिवा सी है जवानी मेरे देश में से देश का गौरवगान किया। रतबाबू शुक्ल की समय पड़े तो बच्चा बच्चा अभिमन्यु होता है. पंक्तियां सराही गयीं। बृज की होली में राधा व कृष्ण के साथ गोपियों ने फूलों की पंखुडि़यों से होली खेली।
साभार दैनिक जागरण

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