अपनी काली करतूतों से
मिट जाएगा पाकिस्तान
रावलपिन्डी से आगे तक
फिर से होगा हिन्दुस्तान
भारत माता का कन्धा है
जिस पर पापी बैठा है
तुझपे तेरा अपना क्या है
जिस पर इतना ऐंठा है
मार पड़ेगी अबकी इतनी
घर-घर होगा क़ब्रिस्तान
पैंसठ और इकहत्तर को तू
शायद बिल्कुल भूल गया
भीख में कुछ हथियार मिले तो
तू ज़्यादा ही फूल गया
करगिल में इस गद्दारी का,
ब्याज़ सहित भुगता भुगतान
हमने अपनी नई सोच से
नव-इतिहास बनाया था
इन्द्रप्रस्थ-लाहौर जोड़कर
मैत्री-हाथ बढ़ाया थ
न्यौछावर हैं प्राण मित्र पर
दुश्मन के हम लेते प्राण
करगिल के दुश्मन तुझको हम
क़ब्रों में दफ़ना देंगें
विजय पताका भारत-भू की
हम तुझ पर फहरा देंगें
दुनिया भर में गूँज रहा है
भारत-माता का जयगान
प्राण लगाकर जिन वीरों ने
दुश्मन को ललकारा है
उनके बलिदानों के आगे
झुकता शीश हमारा है
भारत-माता की गोदी में
फिर से आना वीर जवान
Tuesday, January 29, 2008
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