Thursday, January 24, 2008

लोक परिषद गाजियाबाद का गणतंत्र कवि सम्मेलन

गाजियाबाद लोक परिषद द्वारा गणतंत्र दिवस के अवसर पर स्थानीय रामलीला मैदान में एक विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमे मुख्य अतिथि के रूप में सांसद श्री सुरेन्द्र प्रकाश गोयल उपस्थित थे व उदघाटन महापौर श्रीमती दमयंती गोयल के करकमलों से हुआ। जिला अधिकारी श्री दीपक अग्रवाल ने उपस्थित जनसमुदाय को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी। राजेश चेतन के संचालन में भयंकर ठण्ड में देर रात तक चलने वाले इस कवि सम्मेलन में उपस्थित कवियों ने कहा -

मंच जबसे अर्थदायक हो गये।
तोतले भी गीत गायक हो गये॥
राजनैतिक मूल्य कुछ ऐसे गिरे।
ज़ेबक़तरे तक विधायक हो गये॥
तेजनारायण शर्मा 'बेचैन', मुरैना (म॰ प्र॰)




अंगारों पर तलवे शीतल
जली हथेली साये में
यही फर्क है आज यहां पर
अपने और पराये में
जगदीश सोलंकी, कोटा (राज॰)





सच्चाई के गीत सुनाते झूठ की खाते पीते हैं
लगते तो है भरे-भरे से, लेकिन रीते-रीते हैं
खुदगर्जी में दामन को भी तार-तार कर सकते है
सम्बन्धों की चादर को भी, बस बातों से सीते हैं।
अंजु जैन, गाजियाबाद




वर्जित हो जो पंथ कभी अनुगम्य नहीं होता
जग में अत्याचारी कभी प्रणम्य नहीं होता
चाहे कोई भी हो, या फिर लाख सफाई दे
देशद्रोह का कार्य कभी भी क्षम्य नहीं होता
कमलेश शर्मा, इटावा (उ॰ प्र॰)





सरहद पर माँ की दुआ लड़ी
संग-संग बापू का प्यार लड़ा
राखी के धागे साथ लड़े
आगे बढ़कर सिन्दूर लड़ा
मैं कहां अकेला सरहद पर
मेरे संग हिन्दूस्तान लड़ा
यशपाल 'यश', फिरोजाबाद (उ॰ प्र॰)



राम कवि की कल्पना, बुद्धा कहे पुकार
बुजदिल हिन्दू सो रहा, कौन करे प्रतिकार
सत्ता किनके हाथ में, सौंप रहे हो आप
आज राम को भुलाया, कल भूलेंगे बाप
विक्रमादित्य 'विक्रम', दिल्ली




सांस का हर सुमन है वतन के लिए
ज़िन्दगी ही हवन है वतन के लिए
कह गई फांसियों में फंसी गर्दनें
ये हमारा नमन है वतन के लिए
डा॰ कुंअर बेचैन, गाजियाबाद




एक पल के लिए जी लेने दो
एक पल ही बस अपना है
इस पल को मुझे छू लेने दो।
जय वर्मा, यू॰ के॰





बनेगी बात नई सोच बदल के देखो,
झोंपड़ी में रहो पर ख्वाब महल के देखो,
खुलेंगी खिड़कियां और आसमां अपना होगा
जरा हिम्मत करो और घर से निकल के देखो।
डा॰ विष्णु सक्सेना, अलीगढ़ (उ॰ प्र॰)



राष्ट्र साधना पथ पर हंसकर
अपना जीवन सदा जलाया
अभिनन्दन है उन बेटों का
राष्ट्र प्रेम का पाठ पढ़ाया
आज प्रकाशित दसों दिशायें
देव शक्तियाँ जाग उठी हैं
जाग उठा है सोया भारत
माँ दुर्गा हुंकार उठी है
आओ मिलकर देश भक्ति की
दीप शिखा प्रचंड करेंगे
निश्चित विजय हमारी होगी
घर घर मंगल दीप जलेंगे
राजेश चेतन, दिल्ली

बनारस की सुबह अनुपम अवध की शाम लाये हैं
महोब्बत का खजाना हम तुम्हारे नाम लाये हैं
रंगों में रक्त भारत का यहाँ जिनके भी बहता हैं
सुनाने हम उन्हें ही देश का पैगाम लाये हैं।
गजेन्द्र सोलंकी, दिल्ली





नाम अंकित प्रथम पृष्ठ पर हो गये
जिनके जीवन समर ही समर हो गये
यूं तो जीते हैं मरते हैं लाखों यहाँ
देश पर जो मिटे वो अमर हो गये
सरिता शर्मा, दिल्ली

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