Tuesday, January 29, 2008

पंच महाव्रत

महावीर की वाणी से हम,
नवयुग का निर्माण करेंगे
उनके पदचिन्हों पर चलकर,
धरती का कल्याण करेंगे ॥
मन्त्र अहिंसा, महावीर का
गाँधी जी ने अपनाया था
इसी मन्त्र के चमत्कार से
भारत दुनिया पर छाया था
अँग्रेज़ों की इक-इक गोली
सत्याग्रह से शर्मिंदा थी
हिंसा यूँ मर गई सदा को
और अहिंसा ही ज़िन्दा थी
तोप, टैंक बौने लगते थे
हर आयुध बेकार हो गया
धर्म, अहिंसा, मानवता का
हर सपना साकार हो गया
अँग्रेजी सिंहासन आखिर
इसके आगे डोल गया था
भारत माँ की आज़ादी का
द्वार सदा को खोल गया था
विश्व-शांति के लिए आज हम,
दुनिया में अभियान करेंगे
महावीर की वाणी से हम,
नवयुग का निर्माण करेंगे ॥
‘सत्यमेव जयते’ भारत का
मूल मन्त्र हमने माना है
है आदर्श यही भारत का
इस पर ही चलते जाना है
न्यायालय से राजपाट तक
सत्य-धर्म की महिमा गाते
वीर प्रभु के उपदेशों का
चमत्कार भारत में पाते
धूर्त, फ़रेबी, अत्याचारी
शासन हमको यह लगता है
लेकिन बड़ों-बड़ों के ऊपर
चाबुक सत्य सदा चलता है
सत्य साधना बेशक मुश्किल
लेकिन इससे क्या घबराना
सत्य सदा ही अटल रहेगा
सत्य राह पर चलते जाना
महावीर के इसी मंत्र का,
घर-घर में गुणगान करेंगे
महावीर की वाणी से हम,
नवयुग का निर्माण करेंगे ॥
जितना,जो हमको मिलता है
उतना ही स्वीकार करेंगे
और किसी के अधिकारों पर
कभी नही अधिकार करेंगे
चोरी, जुआ, लुट, अपहरण
क्षणिक सुखद तो हो सकते हैं
लेकिन पाप-बन्ध के कारण
जन्मों के सुख खो सकते हैं
जूए की चौसर के कारण
कौरव-पाण्डव युध्द हुआ था
सीता को अपह्र्त करने पर
भाग्य असुर पर क्रुध्द हुआ था

धर्म-अचौर्य, महावीर का
नारा बनकर सदा बुलेगा
इसी मन्त्र की चाबी द्वारा
द्वार सत्य का नित्य खुलेगा

चोरी, जुआ छोड़ सदा को,
नवजीवन पर ध्यान करेंगे
महावीर की वाणी से हम,
नवयुग का निर्माण करेंगे ॥

क्षणिक सुखों के कारण हमने
अपना जीवन शाप किया है
विषय वासनाओं मे पडकर
हमने कितना पाप किया है

वंश चलाने की सीमा तक
भोग कामना जो रखते हैं
गृहस्थ-धर्म में रह्कर भी वे
ब्रह्मचर्य का फल चखते हैं

फ़ैली एक नई बीमारी
एड्स रोग जिसको कहते हैं
भोगवाद में डूबे मानव
जीवित ही मृत्यु सहते हैं

महावीर का दर्शन ‘संयम’
दुनिया अब स्वीकार करेगी
ब्रह्मचर्य-जीवन जीने से
हमको नई बहार मिलेगी

भोगवाद पर जीवन-सुख को
और नहीं क़ुर्बान करेंगे
महावीर की वाणी से हम,
नवयुग का निर्माण करेंगे ॥

जोड़-जोड़ भर लिए ख़ज़ाने
लेकिन ह्रदय अशान्त बड़ा है
जाने कितने ही रोगों से
पंचभूत बस क्लान्त पड़ा है

अपरिग्रह अपनाने से
जीवन में रस आ जाएगा
मन मंदिर में दर्शन प्यारे
महावीर के पा जाएगा

जीवन के क्षण मूल्यवान हैं
बड़े भाग्य से पल मिलते हैं
सीमित भोग सदा करने से
त्याग, धर्म के फल मिलते हैं

हर कठिनाई, हर मुश्किल का
समाधान अब हो जाएगा
वीर प्रभु के उपदेशों से
राम-राज्य फिर से आएगा

अपरिग्रह के आदर्शों का,
नव जीवन में मान करेंगे
महावीर की वाणी से हम,
नवयुग का निर्माण करेंगे ॥

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