Tuesday, November 27, 2007

पाँडिचेरी काव्य यात्रा - 2007


मातृ मंदिर के समक्ष क्रमशः
श्री गजेन्द्र सोलंकी, पण्डित ओम व्यास व राजेश चेतन

बंगाल की खाडी के किनारे स्थित महर्षि अरविन्द की तपोभूमि है पाँडिचेरी केन्द्र शासित इस प्रदेश में 30 सदस्यों वाली विधानसभा भी है। पाँडिचेरी पिछले लम्बे काल से फ्रेंच कालोनी के रूप में चर्चित रहा है। 1954 में भारत व फ्रांस के मध्य एक समझौते के बाद पाँडिचेरी का प्रशासन भारत सरकार के अन्तर्गत है। तमिल, तेलुगू, मलयालम व फ्रेंच भाषा सरकारी कामकाज के लिये स्वीकृत है। ओरोविला जो कि एक अन्तर्राष्ट्रीय नगर है महर्षि अरविन्द के नाम से बसाया गया है। कई किलोमीटर में फैले इस नगर में लगभग 130 देशों के 2000 लोग संगीत, नृत्य, साहित्य, सेवा तथा अन्य प्रकार से साधना रत है। बहुत ही सुरम्य वातावरण में मातृ मंदिर बनाया जा रहा है। जैन समाज द्वारा पाँडिचेरी में पहली बार कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया था। दिल्ली निवासी श्री पदम पाटनी द्वारा ये आयोजन किया गया। गजेन्द्र सोलंकी के संचालन में देर रात तक चलने वाले संभवतः हिन्दी के पहले कवि सम्मेलन में श्री सुरेन्द्र शर्मा, प॰ ओम व्यास, श्री प्रताप फौजदार, सुश्री अनीता सोनी व मुझे भी काव्य पाठ करने का अवसर मिला। लगभग 1000 श्रोताओं की उपस्थिति ने आश्वस्त किया कि भविष्य में भी यहाँ हिन्दी कवि सम्मेलन होते रहेंगें।

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