Wednesday, July 18, 2007

दोहे

परिणय दिवस शुभ आपका, पावन परम पुनीत
अभिनन्दन में हम लिखें, मेहंदी वाले गीत
————————————————————
नव ऊर्जा नव योजना, नव नूतन श्रृंगार
मंगलमय शुभकामना, कर लीजै स्वीकार
————————————————————
हत्यारों की लाश को, ले जा अपने देश
पाक सैनिक यह सभी, आतंकी था देश
————————————————————
मियां मुशरर्फ बजा रहे, विश्व शांति का ढोल
अडवानी ने खोल दी, उनकी सारी पोल
————————————————————
गोंविद-गोंविद भज रहे, गोंविद है नाराज
झंडेवाला ने किया, उनको नजरअंदाज
————————————————————
दस जनपथ से जब मिला, सासु जी का प्यार
दामाद तजकर आ गये, अपना ही परिवार
————————————————————
भाषण में होशियार हैं, दिल में रखते खोट
आतंकी को पालते, करते क्यों नहीं चोट
————————————————————
कूटनीति बस एक है, हत्यारों को कूट
धर्म जाति क्यों देखते, तुमको पूरी छूट
————————————————————

No comments: