परिणय दिवस शुभ आपका, पावन परम पुनीत
अभिनन्दन में हम लिखें, मेहंदी वाले गीत
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नव ऊर्जा नव योजना, नव नूतन श्रृंगार
मंगलमय शुभकामना, कर लीजै स्वीकार
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हत्यारों की लाश को, ले जा अपने देश
पाक सैनिक यह सभी, आतंकी था देश
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मियां मुशरर्फ बजा रहे, विश्व शांति का ढोल
अडवानी ने खोल दी, उनकी सारी पोल
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गोंविद-गोंविद भज रहे, गोंविद है नाराज
झंडेवाला ने किया, उनको नजरअंदाज
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दस जनपथ से जब मिला, सासु जी का प्यार
दामाद तजकर आ गये, अपना ही परिवार
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भाषण में होशियार हैं, दिल में रखते खोट
आतंकी को पालते, करते क्यों नहीं चोट
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कूटनीति बस एक है, हत्यारों को कूट
धर्म जाति क्यों देखते, तुमको पूरी छूट
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Wednesday, July 18, 2007
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