मन में परहित का जब बजता साज़ रहे ।
कानों में भारत माँ की आवाज़ रहे ।
दूजे के दुख में जब आँखे गीली हों,
समझो उर में अग्रसैन महाराज रहे ।
कवि राजेश चेतन की हास्य व्यंग और विचार कविता की चौपाल में आपका स्वागत है। देखने के लिए यहाँ क्लिक करें https://twitter.com/rajeshchetan http://kavitakosh.org/kk/राजेश_चेतन
No comments:
Post a Comment