Wednesday, December 30, 2009

नया साल

नया साल है द्वार पर कामनवेल्थ बवाल
पूर्ण होगा खेल कब ना सूर है ना ताल
ना सूर है ना ताल साल का जश्न मनाओ
सारे मिलकर इन खेलों को सफल बनाओं
दो हजार दस का है केवल एक फँसाना
हर घर में गूँजेगा अब खेलों का गाना

2 comments:

Udan Tashtari said...

सटीक!!


मुझसे किसी ने पूछा
तुम सबको टिप्पणियाँ देते रहते हो,
तुम्हें क्या मिलता है..
मैंने हंस कर कहा:
देना लेना तो व्यापार है..
जो देकर कुछ न मांगे
वो ही तो प्यार हैं.


नव वर्ष की बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

दो हजार दस का है केवल एक फँसाना
हर घर में गूँजेगा अब खेलों का गाना

वाह वाह..!!

नया वर्ष नयी उम्मीदों
नयी तैयारियों के नाम
नूतन उत्साह और
नवीन चेतना के नाम जी

नववर्ष की बधाई एवं शुभकामनाओं सहित
- सुलभ जायसवाल 'सतरंगी'