Wednesday, December 3, 2008

शिवराज







मंत्री जी शिवराज पधारे दिल्ली में
खूब फंसे है आज बेचारे दिल्ली में

पोशाकों में उलझे प्यारे दिल्ली में
आतंकी से हरदम हारे दिल्ली में

यूं तो हैं महाराष्ट्र दुलारे दिल्ली में
पर इटली के पालन हारे दिल्ली में

अब दिन में ही दिखते तारे दिल्ली में
कुर्सी है भगवान सहारे दिल्ली में

पड़े गाल पर कई करारे दिल्ली में
ताज आपका "ताज" उतारे दिल्ली में

आज मीडिया ताने मारे दिल्ली में
मुंशी जी के वारे न्यारे दिल्ली में

3 comments:

Anonymous said...

राजेश जी आपने आपकी विधा के अनुरुप ही गज़ल के माध्यम से सटीक टिप्प्णी की। साथ ही देशमुख भी विमुख कर दिये गये उनके बारे मे आपके विचार क्या है ?

"अर्श" said...

बहोत ही कोमल ग़ज़ल के साथ करारी टिपण्णी मारी आपने बहोत खूब चेतन जी .. ढेरो बधाई आपको...

Unknown said...

Chetan ji bahut hi achha laga. Gajal ki tarang bhi hai aur bahut hi samsamyik tippani hai. Mujhe aapki lekhni ki ye dhar bahut pasand hai

Arun Adbhut